इस वेब साइट को “कविकुल” जैसा सार्थक नाम दे कर निर्मित करने का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा के कवियों को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराना है जहाँ वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर सकें उन रचनाओं की उचित समीक्षा हो सके, साथ में सही मार्ग दर्शन हो सके और प्रोत्साहन मिल सके।
यह “कविकुल” वेब साइट उन सभी हिन्दी भाषा के कवियों को समर्पित है जो हिन्दी को उच्चतम शिखर पर पहुँचाने के लिये जी जान से लगे हुये हैं जिसकी वह पूर्ण अधिकारिणी है। आप सभी का इस नयी वेब साइट “कविकुल” में हृदय की गहराइयों से स्वागत है।
“यहाँ काव्य की रोज बरसात होगी।
कहीं भी न ऐसी करामात होगी।
नहाओ सभी दोस्तो खुल के इसमें।
बड़ी इससे क्या और सौगात होगी।।”
मंगलवत्थु छंद ‘अयोध्या वापसी’
मंगलवत्थु छंद ‘अयोध्या वापसी’ घर आये श्री राम, आज खुशियाँ बरसी। घन, अम्बर, पाताल, सकल धरती सरसी।। सजे हुये घर द्वार, सजे सब नर-नारी। झिलमिल
तांडव छंद “जागरण”
तांडव छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट – 1 22 22 21(ताल) है।
सुगति छंद ‘भगवान हो’
सुगति छंद / शुभगति छंद 7 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है।
तमाल छंद “ग्रीष्म ताण्डव”
तमाल छंद विधान – तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा)
सुखदा छंद, ‘गंगाजल’
सुखदा छंद 22 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 22, 2222S
बुदबुद छंद “बसंत पंचमी”
बुदबुद छंद विधान –
“नजर” सु-वर्ण नौ रखें।
‘बुदबुद’ छंद को चखें।।
“नजर” = नगण, जगण, रगण
(111 121 212)
जग छंद, ‘क्षणभंगुर जीवन’
जग छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 10, 8 और 5 मात्रा के तीन यति खंडों में विभक्त रहती है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
22222, 2222, 221

मत्तगयंद सवैया छंद
मत्तगयंद सवैया छंद 23 वर्ण प्रति चरण का एक सम वर्ण वृत्त है।
यह सवैया भगण (211) पर आश्रित है, जिसकी 7 आवृत्ति और अंत में दो गुरु वर्ण प्रति चरण में रहते हैं।
छवि छंद “बिछोह व मिलन”
छवि छंद जो कि मधुभार छंद के नाम से भी जाना जाता है, 8 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत जगण (121) से होना आवश्यक है।