Categories
Archives

Category: शार्दूलविक्रीडित छंद

शार्दूलविक्रीडित छंद ‘माँ लक्ष्मी वंदना’

शार्दूलविक्रीडित छंद ‘माँ लक्ष्मी वंदना’ सारी सृष्टि सदा सुवासित करे, देती तुम्ही भव्यता। लक्ष्मी हे कमलासना जगत में, तेरी बड़ी दिव्यता।। पाते वो धन सम्पदा सहज ही, ध्यावे तुम्हे जो सदा। आकांक्षा मन की सभी

Read More »

शार्दूलविक्रीडित छंद

शार्दूलविक्रीडित छंद विधान –

“मैं साजूँ सतताग” वर्ण दश नौ, बारा व सप्ता यतिम्।
राचूँ छंद रसाल चार पद की, ‘शार्दूलविक्रीडितम्’।।

“मैं साजूँ सतताग” = मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण और गुरु।
222  112  121 112// 221  221  2

Read More »
Categories