कामदा छंद
“देश की हालत”
स्वार्थ में सनी राजनीति है।
वोट नोट से आज प्रीति है।
देश खा रहे हैं सभी यहाँ।
दौर लूट का देखिये जहाँ।।
त्रस्त आज आतंक से सभी।
देश की न थी ये दशा कभी।
देखिये जहाँ रक्त-धार है।
लोकतंत्र भी शर्मसार है।।
शील नारियाँ हैं लुटा रही।
लाज से मरी जा रही मही।
अर्थ पाँव पे जो टिकी हुई।
न्याय की व्यवस्था बिकी हुई।।
धूर्त चोर नेता यहाँ हुये।
कीमतें सभी आसमाँ छुये।।
देश की दशा है बड़ी बुरी।
वृत्ति छा गयी आज आसुरी।।
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कामदा छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा) <– लिंक
“रायजाग” ये वर्ण राखते।
छंद ‘कामदा’ धीर चाखते।।
“रायजाग” = रगण यगण जगण गुरु
(212 122 121 2)
10 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद, 4 चरण दो दो सम तुकान्त।
(पंक्तिका छंद के नाम से भी यह छंद प्रसिद्ध है।)
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

परिचय
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
मेरा ब्लॉग:-
देश की वर्तमान अवस्था का बहुत सुंदर खाका खींचा है।
आपकी टिप्पणी का बहुत बहुत धन्यवाद।
कामदा वर्णिक छंद में राजनैतिक दुर्दशा पर अद्भुत भावाभिव्यक्ति हुई है।
बहुत सुंदर सृजन।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।