Categories
Archives

कामदा छंद / पंक्तिका छंद

“देश की हालत”

स्वार्थ में सनी राजनीति है।
वोट नोट से आज प्रीति है।
देश खा रहे हैं सभी यहाँ।
दौर लूट का देखिये जहाँ।।

त्रस्त आज आतंक से सभी।
देश की न थी ये दशा कभी।
देखिये जहाँ रक्त-धार है।
लोकतंत्र भी शर्मसार है।।

शील नारियाँ हैं लुटा रही।
लाज से मरी जा रही मही।
अर्थ पाँव पे जो टिकी हुई।
न्याय की व्यवस्था बिकी हुई।।

धूर्त चोर नेता यहाँ हुये।
कीमतें सभी आसमाँ छुये।।
देश की दशा है बड़ी बुरी।
वृत्ति छा गयी आज आसुरी।।
===============

(वर्णिक छंद परिभाषा) <– लिंक

कामदा छंद / पंक्तिका छंद विधान –

कामदा छंद जो कि पंक्तिका छंद के नाम से भी जाना जाता है, १० वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद है।

“रायजाग” ये वर्ण राखते।
छंद ‘कामदा’ धीर चाखते।।

“रायजाग” = रगण यगण जगण गुरु।

(212 122 121 2) = 10 वर्ण प्रति चरण, 4 चरण, दो दो सम तुकान्त।

****************

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

4 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *