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कुण्डलिया छंद

‘मोबाइल’

मोबायल अर्धांगिनी, सब पतियों की आज।
उसके खातिर छोड़ दे, पतिगण दैनिक काज।।
पतिगण दैनिक काज, छोड़ मोबायल लेते।
पत्नी पर कर क्रोध, गालियाँ जब-तब देते।।
कैसी आयी सौत, नारियाँ है सब घायल।
प्रेम पिया का छीन, ले गया ये मोबायल।।

कुण्डलिया छंद “विधान”

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शुचिता अग्रवाल “शुचिसंदीप”
तिनसुकिया, असम

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