गोपाल छंद / भुजंगिनी छंद
सावरकर की कथा महान।
देश करे उनका गुणगान।।
सन अट्ठारह आठ व तीन।
दामोदर के पुत्र प्रवीन।।
बड़े हुए बिन सिर पर हाथ ।
मात पिता का मिला न साथ।।
बचपन से ही प्रखर विचार।
देश भक्ति का नशा सवार।।
मातृभूमि का रख कर बोध।
बुरी रीत का किये विरोध।।
किये विदेशी का प्रतिकार।
दिये स्वदेशी को अधिकार।।
अंग्रेजों के हुये विरुद्ध।
छेड़ कलम से बौद्धिक युद्ध।।
रुष्ट हुई गोरी सरकार।
मन में इनकी अवनति धार।।
अंडमान में दिया प्रवास।
आजीवन का जेल निवास।।
कैदी ये थे वहाँ छँटैल।
जीये कोल्हू के बन बैल।।
कविता दीवारों पर राच।
जेल बिताई रो, हँस, नाच।।
सैंतिस में छोड़ी जब जेल।
जाति वाद की यहाँ नकेल।।
अंध धारणा में सब लोग।
छुआछूत का कुत्सित रोग।।
किये देश में कई सुधार।
देश जाति हित जीवन वार।।
महासभा के बने प्रधान।
हिंदू में फूंके फिर जान।।
सन छाछठ में त्याग शरीर।
‘नमन’ अमर सावरकर वीर।।
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गोपाल छंद / भुजंगिनी छंद विधान –
गोपाल छंद जो भुजंगिनी छंद के नाम से भी जाना जाता है, 15 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह तैथिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- अठकल + त्रिकल + 1S1 (जगण) है। त्रिकल में 21, 12 या 111 रख सकते हैं तथा अठकल में 4 4 या 3 3 2 रख सकते हैं। इस छंद का अंत जगण से होना अनिवार्य है। त्रिकल + 1S1 को 2 11 21 रूप में भी रख सकते हैं।
लिंक—–> मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
वीर सावरकर की जीवनी पर आधारित अति प्रसंसनीय रचना । गोपाल छंद के विधान की उत्तम जानकारी देने हेतु आभार।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।
गोपाल छंद में सावरकर जी पर बहुत ही प्यारी कविता रची है।
आपकी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।