घनश्याम छंद
“दाम्पत्य सुख”
विवाह पवित्र, बन्धन है पर बोझ नहीं।
रहें यदि निष्ठ, तो सुख के सब स्वाद यहीं।।
चलूँ नित साथ, हाथ मिला कर प्रीतम से।
रखूँ मन आस, काम करूँ सब संयम से।।
कभी रहती न, स्वारथ के बस हो कर के।
समर्पण भाव, नित्य रखूँ मन में धर के।।
परंतु सदैव, धार स्वतंत्र विचार रहूँ।
जरा नहिं धौंस, दर्प भरा अधिकार सहूँ।।
सजा घर द्वार, रोज पका मधु व्यंजन मैं।
लखूँ फिर बाट, नैन लगा कर अंजन मैं।।
सदा मन माँहि, प्रीत सजाय असीम रखूँ।
यही रख मन्त्र, मैं रस धार सदैव चखूँ।।
बसा नव आस, जीवन के सुख भोग रही।
निरर्थक स्वप्न, की भ्रम-डोर कभी न गही।।
करूँ नहिं रार, साजन का मन जीत जिऊँ।
यही सब धार, जीवन की सुख-धार पिऊँ।।
==================
घनश्याम छंद विधान -(वर्णिक छंद परिभाषा) <– लिंक
“जजाभभभाग”, में यति छै, दश वर्ण रखो।
रचो ‘घनश्याम’, छंद अतीव ललाम चखो।।
“जजाभभभाग” = जगण जगण भगण भगण भगण गुरु।
121 121 211 211 211 2 = 16 वर्ण की वर्णिक छंद।
यति 6,10 वर्णों पर, 4 पद, 2-2 पद समतुकांत।
***********************
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
सुखी वैवाहिक जीवन की बहुत सार्थक सीख देती रचना। नमन लेखनी को।
आपकी टिप्पणी का आत्मिक आभार।
वर्णिक घनश्याम छंद में सुखी दाम्पत्य जीवन के मंन्त्रों का अति उत्तम विश्लेषण हुआ है। अद्भुत,अति सुंदर सृजन भैया।
शुचिता बहन.तुम्हारी मनोहर प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।