चन्द्रिका छंद
“वचन सार”
सुन कर पहले, कथ्य को तोलना।
समझ कर तभी, शब्द को बोलना।।
गुण यह जग में, बात से मान दे।
सरस अमिय का, सर्वदा पान दे।।
मधुरिम कथनी, प्रेम की जीत दे।
कटु वचन वहीं, तोड़ ही प्रीत दे।।
वचन पर चले, साख व्यापार की।
कथन पर टिकी, रीत संसार की।।
मुख अगर खुले, सत्य वाणी कहें।
असत वचन से, दूर कोसों रहें।।
जग-मन हरता, सत्यवादी सदा।
यह बहुत बड़ी, मानवी संपदा।।
छल वचन करे, भग्न विश्वास को।
कपट हृदय तो, प्राप्त हो नाश को।।
व्रण कटु वच का, ठीक होता नहीं।
मधु बयन जहाँ, हर्ष सारा वहीं।।
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चन्द्रिका छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा) <– लिंक
“ननततु अरु गा”, ‘चन्द्रिका’ राचते।
यति सत अरु छै, छंद को साजते।।
“ननततु अरु गा” = नगण नगण तगण तगण गुरु
111 111 2,21 221 2 = 13 वर्ण, 7, 6 यति।
13 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद।
4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
आपकी मधुर रचना पढ़कर आनंद आया। आपका छन्द परिचय अतिज्ञानमय था।
आप जैसे छंदज्ञ और काव्यज्ञ को मेरा प्रणाम। मैं भी छन्द की परम्परा में रूचि रखता हूँ और छन्द में लिखता हूँ। परन्तु हिंदी छन्दों के विषय में कुछ विशेष प्रश्न हैं जिनके उत्तर मैं आपसे पाना चाहूँगा। यदि आपसे Whatsapp, E-mail या Mobile के ज़रिये संपर्क हो सके तो आपका आभारी रहूँगा। आपसे सीखने का इच्छुक।
E-mail: jkyadav1006@gmail.com
आदरणीय जीतेन्द्र जी आपकी कविकुल में रुचि का अतिसय आभार। आपके ईमेल पर एक मेल भेजा है मैंने।
इतनी मुश्किल वर्णिक छंद में भी भावों से नहीं भटकना आपकी लेखनी की योग्यता को दर्शाता है। अद्भुत शक्ति है आपकी कलम में।
“मधुरिम रचना, चंद्रिका छंद की।
पढ़कर बहती, धार आनंद की।।
हरदम सबके, बोल मीठे रहे।
‘नमन’ वचन का, सार भी ये कहे।।”
शुचिता बहन चन्द्रिका छंद में ही प्रस्तुत तुम्हारी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।
मीठी वाणी का महत्व दर्शाती बड़ी प्यारी रचना।
आपकी मधुर टिप्पणी का हृदय से धन्यवाद।