Categories
Archives

चित्रपदा छन्द

“गुरु वंदना”

हे गुरुदेव विधाता,
ज्ञान सुधा रस दाता।
मात,पिता तुम भ्राता,
जीवन ज्योत प्रदाता।

नित्य करे पर सेवा,
युग संचालक देवा।
सत्य सदा वरदाता,
हे गुरुदेव विधाता।

सार्थक पाठ पढ़ाते,
सत्पथ वो दिखलाते।
बुद्धि विवेक अगाथा,
हे गुरुदेव विधाता।

है भगवान पधारे,
रूप स्वयं गुरु धारे।
शीश झुका जग ध्याता,
हे गुरुदेव विधाता।

=============

चित्रपदा छन्द विधान- (वर्णिक छंद परिभाषा)

211 211 2 2 = भगण, भगण, गुरु, गुरु
कुल 8 वर्ण की वर्णिक छंद।

चार चरण, दो-दो समतुकांत या चारो समतुकांत।
***********

शुचिता अग्रवाल “शुचिसंदीप”
तिनसुकिया, असम

4 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *