चुलियाला छंद
‘मृदु वाणी’
शब्दों के व्यवहार का, जिसने सीखा ज्ञान सुखी वह।
वाणी कटुता से भरी, जो बोले है घोर दुखी
वह।।1।।
होता यदि अन्याय हो, कायर बनकर कष्ट सहो मत।
हँसकर कहना सीखिये, कटु वाणी के शब्द कहो मत।।2।।
औषध करती है भला, होते कड़वे घूँट सहायक।
अंतर्मन निर्मल करे, निंदक होते ज्ञान प्रदायक।।3।।
मृदुवाणी अनमोल है, संचित जो यह कोष करे नर।
सुख ओरों को भी मिले, अनुपम धन से खूब भरे घर।।4।।
कर्कश भाषा क्रोध की, सर्व विनाशक बाण चला मत।
हृदय बीन्ध कर मन करे, पल भर में ही पूर्ण हताहत।।5।।
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चुलियाला छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)<– लिंक
चुलियाला छंद एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है जिसके प्रति पद में 29 मात्रा होती है। प्रत्येक पद 13, 16 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है। चुलियाला छंद के दो भेद मिलते हैं। चुलियाला छंद दोहा छंद से विनर्मित होता है।
प्रथम भेद दोहे के जैसा ही एक द्वि पदी छंद होता है। यह दोहे के अंत में 1211 ये पाँच मात्राएँ जुड़ने से बनता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है –
2222 212, 2222 21 1211 = (चुलियाला) = 13, 8-21-1211 = 29 मात्रा।
दूसरा भेद चतुष पदी छंद होता है। यह दोहे के अंत में 1SS (यगण) ये पाँच मात्राएं जुड़ने से बनता है। इसके पदांत में सदैव दो दीर्घ वर्ण आते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है –
2222 212, 2222 21 1SS = (चुलियाला) = 13, 8-21 1+गुरु+गुरु = 29 मात्रा।
उदाहरण-
“मूक पुकारे कोख में, कहती माँ से मोहि बचाओ।
हत्या मेरी रोकलो, लीला माँ तुम आज रचाओ।।
तुम मेरी भगवान हो, जीवन का हो एक सहारा।
हत्यारों के हाथ पर, करो वार तुम एक करारा।।”
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
शुचिता बहन मीठे वचनों की महिमा दर्शाती यह चुलियाला छंद की रचना बहुत सुंदर हुई है।
हार्दिक आभार भैया।
अतिशय आभार आदरणीया
चुलियाला छंद में मधुर वाणी का बहुत सुंदर महिमामंडन हुआ है।