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Category: दोहा छंद

दोहा छंद  ‘जय पितरजी’

             दोहा छंद   ‘जय पितरजी’ पितरों के सम्मान में, नमन नित्य सौ बार। भाव सुमन अर्पण करूँ, आप करो स्वीकार।। श्राद्ध पक्ष का आगमन, पितरों का सत्कार। श्रद्धा से

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दोहा छंद “वयन सगाई अलंकार”

चारणी साहित्य मे दोहा छंद के कई विशिष्ट अलंकार हैं, उन्ही में सें एक वयन सगाई अलंकार (वैण सगाई अलंकार) है। दोहा छंद के हर चरण का प्रारंभिक व अंतिम शब्द एक ही वर्ण से प्रारंभ हो तो यह अलंकार सिद्ध होता है।

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दोहा छंद “श्राद्ध-पक्ष”

दोहा छंद “श्राद्ध-पक्ष”

श्राद्ध पक्ष में दें सभी, पुरखों को सम्मान।
वंदन पितरों का करें, उनका धर सब ध्यान।।

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दोहा छंद
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

दोहा छंद विधान

दोहा छंद विधान –

दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह द्विपदी छंद है जिसके प्रति पद में 24 मात्रा होती है।प्रत्येक पद 13, 11 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।

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