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Category: मोहन छंद

मोहन छंद ‘होली प्रेम’

मोहन छंद ‘होली प्रेम’ केशरी, घटा घनी, वृक्ष सकल, झूम रहे। मोहनी, बयार को, मोर सभी, चूम रहे।। दृश्य यह, प्रेमभरा, राधा को, तंग करे। श्याम कब, आओगे, हाथों में, चंग धरे।। रंग से, अंग

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