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Category: सोरठा छंद

सोरठा छंद  ‘सोरठा विधान’

सोरठा छंद ‘सोरठा विधान’ लिखें सोरठा आप, दोहे को उल्टा रचें। अनुपम छोड़े छाप, लिखे सोरठा जो मनुज।। अठकल पाछे ताल, विषम चरण में राखिये। विषम अंत की चाल, तुकबंदी से ही खिले।। अठकल सरल

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सोरठा छंद ‘राम महिमा’

सोरठा छंद और दोहा छंद के विधान में कोई अंतर नहीं है केवल चरण पलट जाते हैं। दोहा के सम चरण सोरठा में विषम बन जाते हैं और दोहा के विषम चरण सोरठा के सम। तुकांतता भी वही रहती है। यानी सोरठा में विषम चरण में तुकांतता निभाई जाती है जबकि पंक्ति के अंत के सम चरण अतुकांत रहते हैं।

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