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Category: मात्रिक छंद

चांद्रायण छंद ‘सुमिरन’

चांद्रायण छंद  ‘सुमिरन’ हरि के नाम अनेक, जपा नित कीजिये। आठों याम सचेत, सुधा रस पीजिये।। महिमा बड़ी विराट, नित स्मरण में रखें। मन से नाम पुकार, कृपा प्रभु की लखें।। पढ़लें ग्रन्थ अनेक, सुधिजन

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नित छंद “ज्ञानवापी”

नित छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट – 9 + 1 2 है।

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मंगलवत्थु छंद ‘अयोध्या वापसी’

मंगलवत्थु छंद ‘अयोध्या वापसी’ घर आये श्री राम, आज खुशियाँ बरसी। घन, अम्बर, पाताल, सकल धरती सरसी।। सजे हुये घर द्वार, सजे सब नर-नारी। झिलमिल जलते दीप, सजी नगरी सारी।। शंखनाद चहुँ ओर, ढोल, डमरू

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तांडव छंद “जागरण”

तांडव छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट – 1 22 22 21(ताल) है।

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सुगति छंद ‘भगवान हो’

सुगति छंद / शुभगति छंद 7 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है।

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तमाल छंद “ग्रीष्म ताण्डव”

तमाल छंद विधान – तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा)

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सुखदा छंद, ‘गंगाजल’

सुखदा छंद 22 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 22, 2222S

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जग छंद, ‘क्षणभंगुर जीवन’

जग छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 10, 8 और 5 मात्रा के तीन यति खंडों में विभक्त रहती है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

22222, 2222, 221

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छवि छंद “बिछोह व मिलन”

छवि छंद जो कि मधुभार छंद के नाम से भी जाना जाता है, 8 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत जगण (121) से होना आवश्यक है।

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त्रिभंगी छंद, ‘ससुराल’

त्रिभंगी छंद विधान-

त्रिभंगी प्रति पद 32 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है। प्रत्येक पद में 10, 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है।

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‘ताटंक छंद,’ ‘माता-पिता’

ताटंक छंद गीत

प्रतिमाओं की पूजा करने, हम मंदिर में जाते हैं।
जिस घर मात-पिता खुश रहते, उस घर ईश्वर आते हैं।

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हीर छंद, ‘माँ’

हीर छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 6, 6, 6 5 के तीन यति खंडों में विभक्त रहती है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
S22, 222, 222 S1S

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चौबोला छंद “मन की पीड़ा”

चौबोला छंद 15 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- अठकल, चौकल+1S (लघु गुरु वर्ण) है।

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अवतार छंद, ‘गोरैया’

अवतार छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 13 और 10 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2 2222 12, 2 3 S1S

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चौपइया छंद “राखी”

चौपइया छंद विधान –

यह प्रति पद 30 मात्राओं का सममात्रिक छंद है। 10, 8,12 मात्राओं पर यति। प्रथम व द्वितीय यति में अन्त्यानुप्रास तथा छंद के चारों पद समतुकांत। प्रत्येक पदान्त में गुरु (2) आवश्यक है।

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संपदा छंद ‘श्री गणेशाय नमः’

संपदा छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 11 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2 22221, 2222 121

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ताटंक छंद ‘स्वच्छ भारत’

ताटंक छंद
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।।
अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।

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ताटंक छंद “नारी की पीड़ा”

ताटंक छंद सम-पद मात्रिक छंद है। इस चार पदों के छंद में प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक पद 16 और 14 मात्रा के दो चरणों में बंटा हुआ रहता है। इस छंद में अंतिम तीन मात्राएँ सदैव गुरु = 2 होती हैं।

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कुकुभ छंद, ‘मेरा मन’

कुकुभ छंद गीत

जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ,
खुशियाँ लेकर आये जो क्षण, फिर उनको जी जाती हूँ।

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चंचरीक छंद “बाल कृष्ण”

चंचरीक छंद या हरिप्रिया छंद चार प्रति पद 46 मात्राओं का सम मात्रिक दण्डक है। इसका यति विभाजन (12+12+12+10) = 46 मात्रा है। मात्रा बाँट – 12 मात्रिक यति में 2 छक्कल का तथा अंतिम यति में छक्कल+गुरु गुरु है।

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