Categories
Archives

Category: मात्रिक छंद

एकावली छंद “मनमीत”

एकावली छंद विधान – एकावली छंद 10 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसमें पाँच पाँच मात्राओं के दो यति खण्ड रहते हैं। इन 10 मात्राओं का विन्यास दो पंचकल (5, 5) हैं।

Read More »

कामरूप /वैताल छंद ‘माँ की रसोई’

कामरूप छंद
माँ की रसोई, श्रेष्ठ होई, है न इसका तोड़।
जो भी पकाया, खूब खाया, रोज लगती होड़।।
हँसकर बनाती, वो खिलाती, प्रेम से खुश होय।
था स्वाद मीठा, जो पराँठा, माँ खिलाती पोय।।

Read More »

गगनांगना छंद ‘आखा तीज’

गगनांगना छंद 25 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 16 और 9 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 2222, 22 S1S

Read More »

कामरूप छंद “आज की नारी”

कामरूप छंद / वैताल छंद 26 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है, जिसका पद 9 मात्रा, 7 मात्रा और 10 मात्रा के तीन यति खण्डों में विभक्त रहता है।
22122, 2122, 2122 21 (अत्युत्तम)।

Read More »

सरसी छंद ‘हे नाथ’

“सरसी छंद”

करो कृपा हे नाथ विनय मैं, करती बारम्बार।
श्रद्धा तुझमें बढ़ती जाये, तुम जीवन सुखसार।।

Read More »

रुचिरा छंद “भक्ति मुक्तक”

रुचिरा छंद “भक्ति मुक्तक”

राम रसायन के दाता, हनुमान सभी पर कृपा करें।
त्राहि-त्राहि के बोल सुनें, प्रभु अपना करतल वरद धरें।
कल्पनेश अति दीन-दुखी, नित यशस् आप का है गाता।
तनिक अनुग्रह ही करके, हरि इसके चित्त विकार हरें।1।

Read More »
सरसी छंद
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

सरसी छंद “राजनाथजी”

सरसी छंद जो कि कबीर छंद के नाम से भी जाना जाता है, चार पदों का सम-पद मात्रिक छंद है। इस में प्रति पद 27 मात्रा होती है। यति 16 और 11 मात्रा पर है अर्थात प्रथम चरण 16 मात्रा का तथा द्वितीय चरण 11 मात्रा का होता है। यह छंद सुमंदर छंद के नाम से भी जाना जाता है।

Read More »

गीता छंद, “गीता पढ़ने के लाभ”

गीता छंद 26 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 14 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2212 2212, 2212 221

Read More »

पदपादाकुलक छंद “नव वर्ष”

पदपादाकुलक छंद विधान – यह 16 मात्रा प्रति चरण का मात्रिक छंद है। इसके प्रारंभ में द्विकल आना आवश्यक है। इसका मात्रा विन्यास:-
2+4+4+4+2 = 16 मात्रा है।

Read More »

शुभगीता छंद ‘जीवन संगिनी’

शुभगीता छंद 27 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 15 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है।  दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
1 2122 2122, 2122 212(S1S) (15+12)

Read More »

शुद्ध गीता छंद “गंगा घाट”

शुद्ध गीता छंद विधान –

शुद्ध गीता छंद 27 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो क्रमशः 14 और 13 मात्राओं के दो यति खंड में विभक्त रहता है।
2122 2122, 2122 2121 (14+13 मात्रा)

Read More »

तोमर छंद ‘सुशिक्षा’

तोमर छंद

अपनायें नवल जोश।
रखना है हमें होश।।
आडम्बर बुरी बात।
सदियों तक करे घात।।

Read More »

शंकर छंद, ‘नश्वर काया’

शंकर छंद 26 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में दो-दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + अठकल, सतकल + गुरु + लघु
शंकर छंद – 8 + 8, 7 + 2 + 1 (16+10)

Read More »

मरहठा माधवी छंद “होली”

मरहठा माधवी छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

अठकल + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + गुरु + लघु + गुरु(S)

Read More »

अहीर छंद “प्रदूषण”

अहीर छंद 11 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत जगण 121 से होना आवश्यक है। इन 11 मात्राओं का विन्यास ठीक दोहा छंद के 11 मात्रिक सम चरण जैसा है बस 8वीं मात्रा सदैव लघु रहे।

Read More »

विद्या छंद ‘मीत संवाद’

विद्या छंद 28 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

122 (यगण)+ लघु + त्रिकल + चौकल + लघु , गुरु + छक्कल + लघु + लघु + गुरु + गुरु
1221 3 221, 2 2221 1SS

Read More »

धारा छंद ‘तिरंगा’

धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S)
2222 2221, 2222 222 (S)

Read More »

दंडकला छंद ‘मधुमास’

दंडकला छंद 32 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।
प्रत्येक पद 10,8,14 मात्राओं के तीन यति खंडों में विभाजित रहता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
गुरु + अठकल, अठकल, अठकल + गुरु + लघु + लघु + गुरु

Read More »

महाश्रृंगार छंद ‘चुनावी हल्ला’

महाश्रृंगार छंद 32 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है जो 16 16 मात्रा के दो यति खण्ड में विभक्त रहता है। 16 मात्रा के यति खण्ड की मात्रा बाँट ठीक श्रृंगार छंद वाली है, जो 3 – 2 – 8 – 21(ताल) है।

Read More »

रुचिरा छंद ‘भाभी’

रुचिरा छंद 30 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।प्रत्येक पद 14,16 मात्राओं के दो यति खंडों में विभाजित रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + छक्कल, गुरु + अठकल + छक्कल
2222 222, 2 2222 222(S)

Read More »
Categories