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Category: वर्णिक छंद

रुचि छंद “कालिका स्तवन”

रुचि छंद विधान –

“ताभासजा, व ग” यति चार और नौ।
ओजस्विनी, यह ‘रुचि’ छंद राच लौ।।

“ताभासजा, व ग” = तगण भगण सगण जगण गुरु।

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रसाल छंद “यौवन”

रसाल छंद विधान –

“भानजभजुजल” वर्ण, और यति नौ दश पे रख।
पावन मधुर ‘रसाल’, छंद-रस रे नर तू चख।।

“भानजभजुजल” = भगण नगण जगण भगण जगण जगण लघु।

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रसना छंद “पथिक आह्वाहन”

रसना छंद विधान –

“नयसननालाग”, रखें सत अरु दश यतिं।
मधु ‘रसना’ छंद, रचें ललित मृदुल गतिं।

“नयसननालाग” = नगण यगण सगण नगण नगण लघु गुरु।

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रमेश छंद “नन्ही गौरैया”

रमेश छंद विधान –

“नयनज” का दे गण परिवेश।
रचहु सुछंदा मृदुल ‘रमेश’।।

“नयनज” = [ नगण यगण नगण जगण]
( 111  122  111  121 ) = 12 वर्ण का वर्णिक छंद।

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रमणीयक छंद “कृष्ण महिमा”

रमणीयक छंद विधान –

वर्ण राख कर पंच दशं “रनभाभरा”।
छंद राच ‘रमणीयक’ हो मन बावरा।।

“रनभाभरा” = रगण नगण भगण भगण रगण।

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रथपद छंद “मधुर स्मृति”

रथपद छंद विधान –

“ननुसगग” वरण की छंदा।
‘रथपद’ रचत सभी बंदा।।

“ननुसगग” = नगण नगण सगण गुरु गुरु।

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रत्नकरा छंद “अतृप्त प्रीत”

रत्नकरा छंद विधान –

“मासासा” नव अक्षर लें।
प्यारी ‘रत्नकरा’ रस लें।।

“मासासा” = मगण सगण सगण।
( 222  112  112 ) = 9 वर्ण का वर्णिक छंद।

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रतिलेखा छंद “विरह विदग्धा”

रतिलेखा छंद विधान –

“सननानसग” षट दशम, वरण छंदा।
यति एक दश अरु पँचम, सु’रतिलेखा’।।

“सननानसग”= सगण नगण नगण नगण सगण गुरु।

( 112  111  111 11,1  112   2 ) = 16 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 11 और 5 वर्णों पर।

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रति छंद “प्यासा मन-भ्रमर”

रति छंद विधान –

‘रति’ छंदा’, रख गण “सभनसागे”।
यति चारा, अरु नव वरण साजे।।

“सभनसागे” = सगण भगण नगण सगण गुरु

( 112  2,11  111  112  2) = 13 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 4-9 वर्णों पर।

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शार्दूलविक्रीडित छंद ‘माँ लक्ष्मी वंदना’

शार्दूलविक्रीडित छंद ‘माँ लक्ष्मी वंदना’ सारी सृष्टि सदा सुवासित करे, देती तुम्ही भव्यता। लक्ष्मी हे कमलासना जगत में, तेरी बड़ी दिव्यता।। पाते वो धन सम्पदा सहज ही, ध्यावे तुम्हे जो सदा। आकांक्षा मन की सभी

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मनोज्ञा छंद “होली”

मनोज्ञा छंद विधान –

“नरगु” वर्ण सप्ता।
रचत है ‘मनोज्ञा’।।

“नरगु” = नगण रगण गुरु
111 212 + गुरु = 7 वर्ण का वर्णिक छंद।

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मनविश्राम छंद
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

मनविश्राम छंद “माखन लीला”

मनविश्राम छंद विधान –

“भाभभुभाभनुया” यति दें, दश रुद्र वरण अभिरामा।
छंद रचें कवि वृन्द सभी, मनभावन ‘मनविशरामा’।।

“भाभभुभाभनुया” = भगण की 5 आवृत्ति फिर नगण यगण।

211 211 211 2,11 211 111 122 = कुल 21 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 10 और 11 वर्ण।

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मधुमती छंद “मधुवन महके”

मधुमती छंद विधान –

“ननग” गणन की।
मधुर ‘मधुमती’।।

“ननग” = (नगण नगण गुरु)
111 111 2 = 7 वर्ण का वर्णिक छंद।

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भृंग छंद “विरह विकल कामिनी”

भृंग छंद विधान –

“ननुननुननु गल” पर यति, दश द्वय अरु अष्ट।
रचत मधुर यह रसमय, सब कवि जन ‘भृंग’।।

“ननुननुननु गल” = नगण की 6 आवृत्ति फिर गुरु लघु। 20 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 12, 8 वर्ण पर।

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भूमिसुता छंद “जीव हिंसा”

भूमिसुता छंद विधान –

“मामामासा” तोड़ो आठा, चार सजा।
सारे भाई चाखो छंदा, ‘भूमिसुता’।।

“मामामासा” = मगण मगण मगण सगण
222 222 22//2 112 = 12वर्ण का वर्णिक छंद।

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बिंदु छंद
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

बिंदु छंद “राम कृपा”

बिंदु छंद विधान –

“भाभमगा” यति, छै ओ’ चारी।
‘बिंदु’ रचें सब, छंदा प्यारी।।

“भाभमगा” = भगण भगण मगण गुरु

(211  211,  222   2) = 10 वर्ण प्रति पद का वर्णिक छंद।

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प्रहरणकलिका छंद “विकल मन”

प्रहरणकलिका छंद विधान –

“ननभन लग” छंद रचत शुभदा।
‘प्रहरणकलिका’ रसमय वरदा।।

“ननभन लग” = नगण नगण भगण नगण लघु गुरु।

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प्रमिताक्षरा छंद “मिलन”

प्रमिताक्षरा छंद विधान –

“सजसासु” वर्ण सज द्वादश ये।
‘प्रमिताक्षरा’ मधुर छंदस दे।।

“सजसासु” = सगण जगण सगण सगण।
112 121 112 112 = 12 वर्ण का वर्णिक छंद।

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