गाथ छंद ‘वृक्ष पीड़ा’
गाथ छंद विधान –
सूत्र राच “रसोगागा”।
‘गाथ’ छंद मिले भागा।।
“रसोगागा” = रगण, सगण, गुरु गुरु
गाथ छंद विधान –
सूत्र राच “रसोगागा”।
‘गाथ’ छंद मिले भागा।।
“रसोगागा” = रगण, सगण, गुरु गुरु
नाम– बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न।
सम्मान– मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।