जनहरण घनाक्षरी
“ब्रज-छवि”
मधुवन महकत, शुक पिक चहकत,
जन-मन हरषत, मधु रस बरसे।
कलि कलि सुरभित, गलि गलि मुखरित,
उपवन पुलकित, कण-कण सरसे।
तृषित हृदय यह, प्रभु-छवि बिन दह,
दरश-तड़प सह, निशि दिन तरसे।
यमुन-पुलिन पर, चित रख नटवर,
‘नमन’ नवत-सर, ब्रज-रज परसे।।
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जनहरण घनाक्षरी विधान :- घनाक्षरी विवेचन
चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। इसमें पद के प्रथम 30 वर्ण लघु रहते हैं तथा केवल पदान्त दीर्घ रहता है। घनाक्षरी एक वर्णिक छंद है अतः वर्णों की संख्या 31 वर्ण से न्यूनाधिक नहीं हो सकती। चारों पदों में समतुकांतता होनी आवश्यक है। 31 वर्ण लंबे पद में 16, 15 पर यति रखना अनिवार्य है।
परन्तु देखा गया है कि 8,8,8,7 के क्रम में यति रखने से वाचन में सहजता और अतिरिक्त निखार अवश्य आता है, पर ये विधानानुसार आवश्यक भी नहीं है।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
अति सुंदर रचना।
आपकी टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद।
जनहरण घनाक्षरी जिसमें कि शुरू के 30 वर्ण लघु रहते हैं, उसमें भी अन्तर्यति तुकांतता को रखकर भावों को पूर्णतः संजोए रखना अति कठिन है। आपकी प्रभुद्ध,सिद्धहस्त लेखनी को प्रणाम।
माँ शारदे की कृपा हमेशा आप पर बनी रहे,यही कामना है।
➡️ शुचिता बहन तुम्हारी उत्साह वर्धक मधुर प्रतिक्रिया का आत्मिक धन्यवाद। ⬅️
इस कठिन विधान में इतनी प्यारी घनाक्षरी में अद्भुत ब्रज की छटा का वर्णन किया है आपने।
▶️ आपकी चित्त रंजक मधुर टिप्पणी का हृदयतल से धन्यवाद व्यक्त करता हूँ। ◀️