तमाल छंद
“जागो हिन्दू”
कब तक सोयेगा हिन्दू तू जाग।
खतरे में अस्तित्व लगी है आग।।
हत्यारों पर गिर तू बन कर गाज।
शौर्य भाव फिर से जगने दे आज।।
रो इतिहास बताता भारत देश।
देखो कितना बदल चुका परिवेश।।
गाती जनता स्वार्थ, दम्भ का गान।
वीरों की भू का है यह अपमान।।
फूट डालना दुष्टों की है चाल।
क्यूँ भारत में गलती सबकी दाल?
हर हिन्दू के मन में हो अभिमान।
रखकर भाषा, धर्म, रीति का मान।।
राजनीति का काटो सब मिल जाल।
रखो देश का ऊँचा जग में भाल।।
हो भारत पर हिन्दू का अधिकार।
धर्म सनातन की हो जय जयकार।।
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तमाल छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति पद १९ मात्रा रहती हैं। दो-दो या चारों पद समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3=19)
चरण के अंत में गुरु लघु अर्थात (21) होना अनिवार्य है।
अन्य शब्दों में अगर चौपाई छंद में एक गुरु और एक लघु क्रम से जोड़ दिया जाय तो तमाल छंद बन जाता है।
चौपाई छंद का विधान अनुपालनिय होगा, जो कि निम्न है-
चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4
चौपाई में कल निर्वहन केवल चतुष्कल और अठकल से होता है। अतः एकल या त्रिकल का प्रयोग करें तो उसके तुरन्त बाद विषम कल शब्द रख समकल बना लें। जैसे 3+3 या 3+1 इत्यादि।
चौकल = 4 – चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
शुचिता बहन अपने ही देश में हिन्दू समाज की दुर्दशा पर तमाल छंद में आक्रोश भरी रचना की बधाई हो।
अपने ही देश में हिंदुओं की दुर्दशा पर मन आक्रोशित तो बहुत होता है। कुछ भाव भरे हैं बस इस रचना में।
तमाल छंद में हिन्दू संस्कृति को जगाती सुंदर रचना।
हार्दिक आभार आपका।