तरलनयन छंद
कबहुँ पड़त, कबहुँ उठत।
नटवर जब, सँभल चलत।।
ठुमकि ठुमकि, धरत चरण।
सरस सकल, यह विवरण।।
यशुमति लख, अति पुलकित।
तन मन दृग, हृदय चकित।।
रह रह कर, वह विहँसत।
सुर नर मुनि, छवि वरनत।।
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तरलनयन छंद विधान –
चतुष नगण, षट षट यति।
‘तरलनयन’, धरतत गति।।
तरलनयन छंद चार नगण से युक्त 12 वर्ण का वर्णिक छंद है। इसमें सब लघु वर्ण रहने चाहिए। यति छह छह वर्ण पर है। चार पद की छंद। दो दो या चारों पद समतुकांत होने चाहिए।
लिंक —> वर्णिक छंद परिभाषा
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
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तरल नयन छंद में कृष्ण बाललीला का सुंदर वर्णन किया है। लघु वर्णों के संयोग से ऐसा वर्णन बहुत ही कठिन है। नमन करती हूँ आपकी लेखनी को।
शुचिता बहन तुम्हारी हृदय खिलाती प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
कृष्ण की बाललीला का मनोहारी वर्णन हुआ है।
आपकी प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार।