तांडव छंद
जागरण
विपद में सारा देश।
चतुर्दिक कटु परिवेश।।
समझ लो भू की पीर।
उठो अब जागो वीर।।
सभी की अपनी राग।
लगी विघटन की आग।।
युवक अब तुम लो जाग।
उदासी का कर त्याग।।
बजें अलगावी ढोल।
लजाते देश कुबोल।।
भयंकर फैला स्वार्थ।
उठो जन-जन बन पार्थ।।
बनो प्रलयंकर रुद्र।
उफनते उग्र समुद्र।।
मचादो तांडव घोर।
मिटा खलुओं का जोर।।
त्यजो तंद्रा प्राचीन।
नहीं हो मन से हीन।।
दिखादो युवकों आज।
टिकी है तुम पर लाज।।
हुये थे हम आजाद।
कुटिल बँटवारा लाद।।
न हो फिर वैसा बोध।
‘नमन’ सबसे अनुरोध।।
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तांडव छंद विधान –
तांडव छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह आदित्य जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट – 1 22 22 21(ताल) है। इस छंद के प्रारंभ में भी लघु वर्ण है तथा अंत में भी लघु वर्ण है। प्रारंभिक लघु के पश्चात दो चौकल ओर फिर गुरु लघु वर्ण हैं।
लिंक:- मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
युवक शक्ति को ललकारती बहुत प्यारी छंदबद्ध कविता।
आपकी मोहक प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना हुई है।
शुचिता बहन हार्दिक धन्यवाद।