दिंडी छंद
‘सुख सार’
प्रश्न सदियों से, मन में है आता।
कहाँ असली सुख, मानव है पाता।।
लक्ष्य सबका ही, सुख को है पाना।
जतन जीवन भर, करते सब नाना।।
नियति लेने की, सबकी ही होती।
यहीं खुशियाँ सब, सत्ता हैं खोती।।
स्वयं कारण हम, सुख-दुख का होते।
वही पाते हैं, जो हम हैं बोते।।
लोभ, छल, ममता, मन में है भारी।
सदा मानवता, इनसे ही हारी।।
सहज, दृढ होकर, सद्विचार धारें।
प्रेम भावों से, कटुता को मारें।।
सर्वदा सुखमय, जीवन वो पाते।
खुशी देकर जो, खुशियाँ ले आते।।
प्रेरणा पाकर, हम सब निखरेंगे।
नहीं जीवन में, फिर हम बिखरेंगे।
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दिंडी छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
दिंडी छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति पद १९ मात्रा रहती हैं जो ९ और १० मात्रा के दो यति खंडों में विभाजित रहती हैं। दो-दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
दोनों चरणों की मात्रा बाँट निम्न प्रकार से है।
त्रिकल, द्विकल, चतुष्कल = ३ २ ४ = ९ मात्रा।
छक्कल, दो गुरु वर्ण (SS) = १० मात्रा।
छक्कल में ३ ३, या ४ २ हो सकते हैं।
३ के १११, १२, २१ तीनों रूप मान्य।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
बहुत अच्छा लगा पढ़कर। हम भी पूर्वाशा में इस पर चर्चा करना चाहेगें। बधाई।
रुनु बरुआ जी, कविकुल पर आपका स्वागत है। आपने रचना को पढ़ा और मुझे प्रोत्साहित किया उसके लिए हृदय से आभारी हूँ। आशा है आपका सानिध्य निरन्तर कविकुल पर मिलता रहेगा।
रुनू बरुआ जी आपका कविकुल पर स्वागत है।
शुचिता बहन इस नये छंद दिंडी छंद में सुख प्राप्त करने की सार बातें बताई गयी हैं जिन पर चलकर कोई भी मानव जीवन में सच्चा सुख प्राप्त कर सकता है।
आपका हार्दिक आभार भैया।
उत्साहवर्धन हेतु आभार आपका।
जीवन में वास्तविक सुख क्या है और उसकी प्राप्ति का उपाय बताती रचना।