दीप छंद
“राम-भजन”
कर मन भजन राम,
रख हिय सुगम नाम,
प्रभु को जपत खोय,
पुलकित हृदय होय।
जगती लगन खास,
लगती मधुर प्यास,
दृग में करुण धार,
पुनि पुनि प्रिय पुकार।
कर के दृढ विचार,
त्यज दें सब विकार,
पायें नवल रूप,
प्रभु की छवि अनूप।
जो हरि भजन भाय,
जीवन सुधर जाय,
मिलता सरस नेह,
होती सबल देह।
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दीप छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
यह 10 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौकल, नगण(111) गुरु लघु (S1) = 10 मात्रायें।
(चौकल 2-2, 211 ,1111 या 112 हो सकता है।
चरणान्त: नगण गुरु लघु (11121) अनिवार्य है।)
“चौकल नगण व्याप्त,
गुरु-लघु कर समाप्त,
रच लो मधुर ‘दीप’,
लगती चपल सीप।”
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
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न्यून मात्रिक छन्द में विस्तृत भक्तिभाव पूर्ण भजन- सृजन ।वाह!
जय श्री राम। बहुत अच्छा लिखा है।
शुचिता बहन इस लघु विन्यास की प्यारी छंद में नाम जप की महत्ता दर्शाते हुये तुमने राम भजन की प्रेरणा लोगों में अत्यंत कुशलतापूर्वक जगाई है। साधुवाद।
भैया प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार।
राम भजन की हितकर प्रेरणा देती मधुर छंद में प्यारी रचना।
हार्दिक आभार आपका।
बहुत सुंदर राम भजन
आपकी प्रतिक्रिया से बहुत खुशी होती है।