दोहा छंद
‘एक जनवरी’
अभिनंदन उल्लास का, करता भारतवर्ष।
नये साल का आगमन, रोम रोम में हर्ष।।
हैप्पी हैप्पी न्यू इयर, हैप्पी हैं सब लोग।
एक जनवरी को लगे, घर घर मदिरा भोग।।
टिक टिक टिक बारह बजी, हुआ जोर से शोर।
अंग्रेजी नव वर्ष की, डगमग डोले भोर।।
नोवीं दशवीं में पढ़े, मगर नया है स्वैग।
खुशियाँ अपनी बाँटते, बना बना कर पैग।।
मदिरालय घर में खुला, अंग्रेजी परिवेश।
साथ दे रही नारियाँ, नूतन भारत देश।।
तन मन धन का सुख मिले, मिट जाये सब रोग।
खुशियों का बनता रहे, मंगलमय संयोग।।
दोहा छंद विधान
◆◆◆◆◆◆◆
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
Related Posts:
- दोहा छंद "विवाह में गणपति निमंत्रण" by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' April 25, 2024 दोहा छंद "विवाह में गणपति निमंत्रण" प्रथम निमंत्रण आपको, विघ्न विनायक नाथ। पग पग पर रहना सदा, आप ब्याह में साथ।। सकल सुखद संजोग से, ब्याह मँड्यो है आज। देव पधारो आँगना, सकल सुधारो काज।। कुंकुंपत्री ब्याव की, न्यूंतो मानो नाथ। रणतभँवर सूं आवज्यो,…
- दोहा छंद, 'कुलदेवी' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' April 6, 2024 कुलदेवी पर दोहे प्रथम विनायक को भजें, प्रभु का लें फिर नाम।। कुलदेवी जयकार से, शुरू करें शुभ काम।। सर्व सुमंगल दायिनी, हे कुलदेवी मात। कुल तेरा तुझको भजे, कर जोड़े दिन-रात।। कुलदेवी आशीष से, बनते बिगड़े काज। निज कुल…
- दोहा छंद 'असम प्रदेश' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' December 19, 2023 दोहा छंद 'असम प्रदेश' माँ कामाख्या धाम है, ब्रह्मपुत्र नद धार। पत्ता पत्ता रसभरा, सुखद असम का सार।। धरती शंकरदेव की, लाचित का अभिमान। कनकलता की वीरता, असम प्रांत की शान।। बाँस, चाय, रेशम घना, तेल यहाँ भरपूर। नर-नारी कर्मठ…
- दोहा छंद 'जय पितरजी' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' November 5, 2023 दोहा छंद 'जय पितरजी' पितरों के सम्मान में, नमन नित्य सौ बार। भाव सुमन अर्पण करूँ, आप करो स्वीकार।। श्राद्ध पक्ष का आगमन, पितरों का सत्कार। श्रद्धा से पूजन करें, हिय से हो…
- दोहा छंद "वयन सगाई अलंकार" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 3, 2022 चारणी साहित्य मे दोहा छंद के कई विशिष्ट अलंकार हैं, उन्ही में सें एक वयन सगाई अलंकार (वैण सगाई अलंकार) है। दोहा छंद के हर चरण का प्रारंभिक व अंतिम शब्द एक ही वर्ण से प्रारंभ हो तो यह अलंकार…
- पदपादाकुलक छंद "नव वर्ष" by Baba Kalpnesh April 2, 2022 पदपादाकुलक छंद विधान - यह 16 मात्रा प्रति चरण का मात्रिक छंद है। इसके प्रारंभ में द्विकल आना आवश्यक है। इसका मात्रा विन्यास:- 2+4+4+4+2 = 16 मात्रा है।
- कर्ण छंद 'नववर्ष उल्लास' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' January 2, 2022 कर्ण छंद 30 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में चारों या दो दो पद समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है- 2 2222 21, 12221 122 22 (SS)
- विधाता छंद "नव वर्ष" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' January 1, 2022 विधाता छंद 28 मात्रा प्रति पद का सम पद मात्रिक छंद है जो 14 – 14 मात्रा के दो यति खंडों में विभक्त रहता है।
- दोहा छंद "श्राद्ध-पक्ष" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 25, 2021 दोहा छंद "श्राद्ध-पक्ष" श्राद्ध पक्ष में दें सभी, पुरखों को सम्मान। वंदन पितरों का करें, उनका धर सब ध्यान।।
- दोहा छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 19, 2021 दोहा छंद विधान - दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह द्विपदी छंद है जिसके प्रति पद में 24 मात्रा होती है।प्रत्येक पद 13, 11 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
नववर्ष आगमन पर सुंदर दोहे प्रस्तुत किए हैं।
हार्दिक आभार।
वास शुचिता बहन आजके अंग्रेजी नववर्ष मनाने के तौर तरीके पर तुम्हारे दोहों में यथार्थ व्यंग।
आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का आभार भैया।