कुलदेवी पर दोहे
प्रथम विनायक को भजें, प्रभु का लें फिर नाम।।
कुलदेवी जयकार से, शुरू करें शुभ काम।।
सर्व सुमंगल दायिनी, हे कुलदेवी मात।
कुल तेरा तुझको भजे, कर जोड़े दिन-रात।।
कुलदेवी आशीष से, बनते बिगड़े काज।
निज कुल की माँ जगत में, रखती हरदम लाज।।
रखें स्मरण कुलदेव का, धर्म सनातन रीत।
सुखपूर्वक जीवन रहे, मिले सदा ही जीत।।
धूप, दीप, घृत, पुष्प लें, चंदन और कपूर।
पूजन थाली से रखें, खंडित अक्षत दूर।।
पान, सुपारी, लौंग, जल, चढ़े मधुर गुलकंद।
विधिवत पूजन जो करे, कटे जगत के फंद।।
दोहा छंद विधान
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
Related Posts:
- दोहा छंद "विवाह में गणपति निमंत्रण" by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' April 25, 2024 दोहा छंद "विवाह में गणपति निमंत्रण" प्रथम निमंत्रण आपको, विघ्न विनायक नाथ। पग पग पर रहना सदा, आप ब्याह में साथ।। सकल सुखद संजोग से, ब्याह मँड्यो है आज। देव पधारो आँगना, सकल सुधारो काज।। कुंकुंपत्री ब्याव की, न्यूंतो मानो नाथ। रणतभँवर सूं आवज्यो,…
- दोहा छंद 'एक जनवरी' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' January 9, 2024 दोहा छंद 'एक जनवरी' अभिनंदन उल्लास का, करता भारतवर्ष। नये साल का आगमन, रोम रोम में हर्ष।। हैप्पी हैप्पी न्यू इयर, हैप्पी हैं सब लोग। एक जनवरी को लगे, घर घर मदिरा भोग।। टिक टिक टिक बारह बजी, हुआ जोर…
- दोहा छंद 'असम प्रदेश' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' December 19, 2023 दोहा छंद 'असम प्रदेश' माँ कामाख्या धाम है, ब्रह्मपुत्र नद धार। पत्ता पत्ता रसभरा, सुखद असम का सार।। धरती शंकरदेव की, लाचित का अभिमान। कनकलता की वीरता, असम प्रांत की शान।। बाँस, चाय, रेशम घना, तेल यहाँ भरपूर। नर-नारी कर्मठ…
- दोहा छंद 'जय पितरजी' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' November 5, 2023 दोहा छंद 'जय पितरजी' पितरों के सम्मान में, नमन नित्य सौ बार। भाव सुमन अर्पण करूँ, आप करो स्वीकार।। श्राद्ध पक्ष का आगमन, पितरों का सत्कार। श्रद्धा से पूजन करें, हिय से हो…
- दोहा छंद "वयन सगाई अलंकार" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 3, 2022 चारणी साहित्य मे दोहा छंद के कई विशिष्ट अलंकार हैं, उन्ही में सें एक वयन सगाई अलंकार (वैण सगाई अलंकार) है। दोहा छंद के हर चरण का प्रारंभिक व अंतिम शब्द एक ही वर्ण से प्रारंभ हो तो यह अलंकार…
- दोहा छंद "श्राद्ध-पक्ष" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 25, 2021 दोहा छंद "श्राद्ध-पक्ष" श्राद्ध पक्ष में दें सभी, पुरखों को सम्मान। वंदन पितरों का करें, उनका धर सब ध्यान।।
- दोहा छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 19, 2021 दोहा छंद विधान - दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह द्विपदी छंद है जिसके प्रति पद में 24 मात्रा होती है।प्रत्येक पद 13, 11 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
शुचिता बहन बहुत प्यारे दोहे रचे हैं।
कुलदेवी देवता की जय हो।
जय हो कुलदेवी माँ की।
हार्दिक आभार भैया।
कुलदेवी की महिमा में बहुत सुंदर दोहों का सृजन।
हार्दिक आभार आपका।