धार छंद
“आज की दशा”
अत्याचार।
भ्रष्टाचार।
का है जोर।
चारों ओर।।
सारे लोग।
झेलें रोग।
हों लाचार।
खाएँ मार।।
नेता नीच।
आँखें मीच।
फैला कीच।
राहों बीच।।
पूँजी जोड़।
माथा मोड़।
भागे छोड़।
नाता तोड़।।
आशा नाँहि।
लोगों माँहि।
खोटे जोग।
का है योग।।
सारे आज।
खोये लाज।
ना है रोध।
कोई बोध।।
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धार छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)
“माला” वार।
पाओ ‘धार’।।
“माला” = मगण लघु
222 1 = 4 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद।
4 चरण, 2-2 या चारों चरण समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

परिचय
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
मेरा ब्लॉग:-
‘ आज की दशा ‘ विषय पर भाई ‘नमन जी’ ने धार छंद की विधा में बहुत सुंदर भाव बखूबी प्रस्तुत किए हैं.. उन्हें बहुत-बहुत बधाई…
‘ नाँहि ‘, माँहि ‘ शब्द खड़ी बोली से हटकर हैं..
तथा ‘सारे आज’ के साथ ‘खोये लाज ‘ में वचनभंग होता हुआ दिखा । शेष झक्कास..
आदरणीय ऋतुदेव जी आपकी प्रतिक्रिया का आत्मिक आभार।
सारे शब्द बहुवचन का वाचक है, अतः खोये का प्रयोग।
काव्य में भावानुसार देशज शब्दों का प्रयोग होता है।
प्रथमतः सुंदर परिहास के आपको धन्यवाद कि आपने एक पुरुष को आदरणीया कह कर सम्बोधित किया ।
उक्त टिप्पणी में ‘खोये’ शब्द भी ‘सारे’ के तदनुसार बहुवचन सूचक ही होना चाहिए यानी #खोयें# (अनुस्वार के साथ) हो तो ही सटीक रहेगा, मेरा यह कहना था ..
वाहः छोटे मीटर पर लंबी दौड़.
अति उत्तम भाव ।
उत्कृष्ट शब्दावली।
शुचिता बहन तुम्हारी मधुर टिप्पणी का आत्मिक धन्यवाद।
इतनी छोटी मापनी की छंद में भी बहुत समुन्नत भाव
आपकी हर्षित करती प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।