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पदपादाकुलक छंद “नव वर्ष”

गीत

नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन!
माथे पर मलयागिर चंदन।।

यह प्रात सजाए थाल खड़ी।
तुम आए लेकर सुखद घड़ी।।
शिशु भारत करता पद वंदन।
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।।

स्वागत में प्राची ले रोली।
है सभी दिशाओं से बोली।
लो विगत हुआ अब जग क्रंदन
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।

भर कर के गंगाजल सखियाँ।
खुशियों से चम-चम कर अँखियाँ।
लख हुआ आगमन नव स्यंदन।
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।।

लो हर्षित आज समाज हुआ।
हर डाली-डाली बैठ सुआ।
अब करे जीर्णता का लंघन।
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।।

सारे नर नारी यही कहे।
हर गले-गले जय माल रहे।
कुमकुम-रोली का शुभ अंकन
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।।
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पदपादाकुलक छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)

यह 16 मात्रा प्रति चरण का मात्रिक छंद है। इसके प्रारंभ में द्विकल आना आवश्यक है। इसका मात्रा विन्यास:-
2+4+4+4+2 = 16 मात्रा है।
तीन चौकल को 4+8, 8+4, 4+4+4 तीनों रूप में रख सकते हैं। अठकल में 3+3+2 या 2+ जगण(121) +2 रूप मान्य रहता है। चूँकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ सकते हैं।
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बाबा कल्पनेश
श्री गीता कुटीर-12,गंगा लाइन, स्वर्गाश्रम-ऋषिकेश, पिन-249304

3 Responses

    1. सीताराम
      हार्दिक आभार बहन शुचिता जी।नव वर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार करें।यह वर्ष सर्व विधि मंगलमय हो।

  1. सर्व प्रथम बाबाजी आपको हिन्दू नववर्ष और नवरात्र की बधाई। आज 2079 संवत के आगमन के शुभ अवसर पर यह आपका पदपादाकुलक छंद में रचित नववर्ष स्वागत गीत अत्यंत सार्थक और समसामयिक है।

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