पुण्डरीक छंद
“राम-वंदन”
मेरे तो हैं बस राम एक स्वामी।
अंतर्यामी करतार पूर्णकामी।।
भक्तों के वत्सल राम चन्द्र न्यारे।
दासों के हैं प्रभु एक ही सहारे।।
माया से आप अतीत शोक हारी।
हाथों में दिव्य प्रचंड चाप धारी।
संधानो तो खलु घोर दैत्य मारो।
बाढ़े भू पे जब पाप आप तारो।।
पित्राज्ञा से वनवास में सिधाये।
सीता सौमित्र तुम्हार संग आये।।
किष्किन्धा में हनु सा सुवीर पाई।
लंका पे सागर बाँध की चढ़ाई।।
संहारे रावण को कुटुंब साथा।
गाऊँ सारी महिमा नवाय माथा।।
मेरे को तो प्रभु राम नित्य प्यारे।
वे ऐसे जो भव-भार से उबारे।।
सीता संगे रघुनाथ जी बिराजे।
तीनों भाई, हनुमान साथ साजे।।
शोभा कैसे दरबार की बताऊँ।
या के आगे सुर-लोक तुच्छ पाऊँ।।
ये ही शोभा मन को सदा लुभाये।
ये सारे ही नित ‘बासुदेव’ ध्याये।।
वो अज्ञानी चरणों पड़ा भिखारी।
आशा ले के बस भक्ति की तिहारी।।
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पुण्डरीक छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)
“माभाराया” गण से मिले दुलारी।
ये प्यारी छंदस ‘पुण्डरीक’ न्यारी।।
“माभाराया” = मगण भगण रगण यगण
(222 211 212 122)
12 वर्ण प्रति चरण,
4 चरण,2-2 चरण समतुकान्त।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
बहुत बढ़िया
आत्मिक धन्यवाद।
वर्णिक छंद पुण्डरीक में भगवान राम के स्वरूप,वनवास कथा ,रावण संहार एवं दिव्य राम दरबार का बहुत सुंदर दृश्य आपकी सिद्धहस्त लेखनी द्वारा अंकित हुआ है।
बहुत ही प्यारी रचना हुई है।
शुचिता बहन तुम्हारी हृदय खिलाती प्रतिक्रिया का आत्मिक धन्यवाद।
प्यारी छंद में मधुर राम चरित के साथ राम दरबार की दिव्य झाँकी का सुंदर वर्णन।
इस उत्साह वर्धक टिप्पणी का हृदयतल से धन्यवाद।