पुनीत छंद
“भाई मेरा मान”
भाई बहना का त्योहार,
राखी दोनों का है प्यार।
जीये भाई सौ-सौ साल,
धागा मेरा तेरी ढाल।
कुमकुम टीका माथे सोय,
यश भाई का जग में होय।
रखना मुँह में मीठे बोल,
इसी मिठाई का है मोल।
पूनम के चंदा सा रूप,
शीत सुहानी तुम हो धूप।
सावन की मृदु हो बौछार,
बरसो फिर भी आता प्यार।
जनम-जनम का अपना साथ,
बाँधूं राखी तेरे हाथ।
भाई मेरा, मेरा मान,
करती तेरा हूँ सम्मान।
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पुनीत छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
यह 15 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौक्कल+छक्कल +SS1(गुरु गुरु लघु) = 15 मात्रायें।
(चौकल 2-2,211,1111 या 112 हो सकता है, छक्कल 2 2 2, 2 4, 4 2, 3 3 हो सकता है।)
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
बहुत सुंदर
रक्षाबंधन का मास सावन के महीने में भाई के प्रति एक बहन के हृदय सागर में उमड़ते असीमित प्यार पर मनभावनी रचना।
हृदय से आभार।
वाह रक्षाबंधन के बारे में कितनी सुंदर कविता लिखी है आपने
आप सब रचनाएं पढ़ती हो,और मुझे प्रोत्साहित भी करती हो,यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
कविता में शब्दों के मोती पिरोये हैं।आपकी रचनायें लाजवाब होती है।
अतिशय आभार आपका।