प्रदोष छंद
“कविता ऐसे जन्मी है”
मन एकाग्रित कर लिया,
चयन विषय का फिर किया।
समिधा भावों की जली,
तब ऐसे कविता पली।
नौ रस की धारा बहे,
अनुभव अपना सब कहे।
लेकिन जो हिय छू रहा,
कविमन उस रस में बहा।
सुमधुर सरगम ताल पर,
समुचित लय मन ठान कर।
शब्द सजाये परख के,
गा-गा देखा हरख के।
अलंकार श्रृंगार से,
काव्य तत्व की धार से।
पा नव जीवन खिल गयी,
पूर्ण हुई कविता नयी।
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प्रदोष छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
यह 13 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल+त्रिकल+द्विकल =13 मात्रायें
अठकल यानी 8 में दो चौकल (4+4) या 3-3-2 हो सकते हैं। (चौकल और अठकल के नियम अनुपालनीय हैं।)
त्रिकल 21, 12, 111 हो सकता है तथा द्विकल 2 या 11 हो सकता है।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
वाह गजब के भाव भरे है।
वाह बहुत सुंदर कविता
सुखद प्रतिक्रिया।
एक नयी कविता के जन्म का सुंदर वर्णन हुआ है।
अतिशय आभार आपका।
वाह!
कविता लिखना सिखाने वाली कविता।
शुचिता वहन आपको हार्दिक नमन।
आदरणीय भाई कृष्णकुमार जी,उत्साहवर्धन हेतु सहृदय आभार। इस कविता में मेरी मनोदशा का ही बस काव्य रूपांतरण किया है।
शुचिता बहन कवि हृदय नव सृजन की एक एक कड़ी संजोते हुये किस प्रकार धैर्य के साथ अपनी नयी कविता पूर्ण करता है, इसका इस मधुर छंद में बहुत सुंदर तरीके से वर्णन हुआ है। इस रचना की बहुत बहुत बधाई।
इतनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु सहृदय आभार भैया।
कविता लिखते समय मेरी जो स्थिति रहती है उसी को बस काव्यमयी जामा पहनाया है।