बृहत्य छंद आधारित
“सावन का सोमवार गीतिका”
मधुर मास सावन लगा है,
दिवस सोम पावन पड़ा है।
महादेव को सब रिझाएँ,
उसीका सभी आसरा है।
तेरा रूप सबसे निराला,
गले सर्प माथे जटा है।
सजे माथ चंदा ओ गंगा,
सवारी में नंदी सजा है।
कुसुम बिल्व चन्दन चढ़ाएँ,
ये शुभ फल का अवसर बना है।
शिवाले में अभिषेक जल से,
करें भक्त मोहक छटा है।
करें कावड़ें तुझको अर्पित,
सभी पुण्य पाते महा है।
करो पूर्ण आशा सभी शिव,
‘नमन’ हाथ जोड़े खड़ा है।
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बृहत्य छंद विधान (वर्णिक छंद परिभाषा)
बृहत्य छंद 9 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छन्द है जिसका वर्ण विन्यास 122*3 है। इस चार चरणों के छंद में 2-2 अथवा चारों चरणों में समतुकांतता रखी जाती है।
यह छंद वाचिक स्वरूप में अधिक प्रसिद्ध है जिसमें उच्चारण के आधार पर काफी लोच संभव है। वाचिक स्वरूप में गुरु वर्ण (2) को लघु+लघु (11) में तोड़ने की तथा उच्चारण के अनुसार गुरु वर्ण को लघु मानने की भी छूट रहती है। (वाचिक स्वरूप)
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
सावन सोमवार पर अच्छी रचना
प्रतिक्रिया का आत्मिक धन्यवादः
सावन के प्रथम सोमवार के पावन दिवस पर भगवान शिव की महिमा में रची शानदार गजल गीतिका को मेरा नमन।
आपकी भावभीनी टिप्पणी का आत्मिक धन्यवाद।
सावन मास के सोमवार की विशेष महत्ता पर रचित गीतिका बहुत ही प्रभावशाली है।
बृहत्य वर्णिक छंद में सुंदर भावाभिव्यक्ति हुई है।
शिल्प,भाषा एवं शब्द चयन बेजोड़ है। छंद की लय सुमधुर है।
विधान में इसके वाचिक स्वरूप की उत्तम जानकारी आपने प्रदान की है।
हार्दिक बधाई।
शुचिता बहन ऐसी समसामयिक छंद बद्ध रचना सृजन करने के प्रति हृदय में नव उत्साह का संचार करती तुम्हारी मधुर प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।