भव छंद
“जागो भारत”
जागो देशवासी।
त्यागो अब उदासी।।
जाति वाद तोड़ दो।
क्षुद्र स्वार्थ छोड़ दो।।
देश पर गुमान हो।
इससे पहचान हो।।
भारती सदा बढे।
कीर्तिमान नव गढे।।
जागरुक सभी हुवें।
आसमान हम छुवें।।
संस्कृति का भान हो।
भू पे अभिमान हो।।
देश से दुराव की।
बातें अलगाव की।।
लोग यहाँ जो करें।
मुल्य कृत्य का भरें।।
सोयों को जगायें।
आतंकी मिटायें।।
लहु रिपुओं का पियें।
बलशाली बन जियें।।
देश भक्ति रीत हो।
जग भर में जीत हो।।
सुरपुर देश प्यारा।
‘नमन’ इसे हमारा।।
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भव छंद विधान –
भव छंद 11 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है । यह रौद्र जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। चरणांत के आधार पर इन 11 मात्राओं के दो विन्यास हैं। प्रथम 8 1 2(S) और दूसरा 6 1 22(SS)। 1 2 और 1 22 अंत के पश्चात बची हुई क्रमशः 8 और 6 मात्राओं के लिये कोई विशेष आग्रह नहीं है। परंतु जहाँ तक संभव हो सके इन्हें अठकल और छक्कल के अंतर्गत रखें।
अठकल (4 4 या 3 3 2)
छक्कल (2 2 2 या 3 3)
लिंक:- मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
देव भक्ति का पावन संदेश देती बहुत प्यारी कविता।
आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद व्यक्त करता हूँ।
बहुत सुंदर, देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत रचना है।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।