भानु छंद
‘श्याम प्रार्थना”
मुरलीधर, तू ही जग का पालनहार।
ब्रजवासी, तुझमें बसता यह संसार।।
यदुकुल में, लिया कृष्ण बनकर अवतार।
अविनाशी, इस जग का तू ही हो सार।।
यशुमति माँ, नंद पिता भ्राता बलराम।
वृंदावन, सुंदर तेरो गोकुल धाम।।
सरसाये, रुक्मणि राधा ह्रदय अपार।
आनंदित, देख तुझे ब्रज के नर-नार।।
सुरपति का, क्रोध देख गोकुल घबराय।
जलधारा, विकट हुई सब बहता जाय।।
गोवर्धन, लिया हाथ पर तुझने धार।
असुरों को, बालापन में दिया मार।।
धरती के, करदे नष्ट सभी तू पाप।
दीनन के, हरले पल में सब संताप।।
हे मोहन, चरणों की हूँ दासी एक।
शुचि दर पे, बैठी तेरे माथा टेक।
मात्रिक छंद परिभाषा
◆◆◆◆◆◆◆
भानु छंद विधान-
भानु छंद 21 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 6 और 15 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
222, 2222 22S1
छक्कल की संभावित संभावनाएं-
3+3 या 4+2 या 2+4 हो सकते हैं।
अठकल 4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।
चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत गुरु- लघु (2 1) अनिवार्य है।
■■■■■■■■
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
Related Posts:
- मधुमती छंद "मधुवन महके" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 29, 2023 मधुमती छंद विधान - "ननग" गणन की। मधुर 'मधुमती'।। "ननग" = (नगण नगण गुरु) 111 111 2 = 7 वर्ण का वर्णिक छंद।
- चंचरीक छंद "बाल कृष्ण" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' January 16, 2023 चंचरीक छंद या हरिप्रिया छंद चार प्रति पद 46 मात्राओं का सम मात्रिक दण्डक है। इसका यति विभाजन (12+12+12+10) = 46 मात्रा है। मात्रा बाँट - 12 मात्रिक यति में 2 छक्कल का तथा अंतिम यति में छक्कल+गुरु गुरु है।
- पवन छंद "श्याम शरण" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' December 7, 2022 पवन छंद विधान - "भातनसा" से, 'पवन' सजति है। पाँच व सप्ता, वरणन यति है।। "भातनसा" = भगण तगण नगण सगण। 211 22,1 111 112
- डमरू घनाक्षरी "नटवर" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' November 19, 2022 डमरू घनाक्षरी 32 वर्ण प्रति पद की घनाक्षरी है। इस घनाक्षरी की खास बात जो है वह यह है कि ये 32 के 32 वर्ण लघु तथा मात्रा रहित होने चाहिए।
- तरलनयन छंद 'नटवर छवि' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 27, 2022 तरलनयन छंद विधान - चतुष नगण, षट षट यति। 'तरलनयन', धरतत गति।। तरलनयन छंद चार नगण से युक्त 12 वर्ण का वर्णिक छंद है। इसमें सब लघु वर्ण रहने चाहिए। यति छह छह वर्ण पर है।
- मकरन्द छंद 'कन्हैया वंदना' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 6, 2022 मकरन्द छंद विधान - "नयनयनाना, ननगग" पाना, यति षट षट अठ, अरु षट वर्णा। मधु 'मकरन्दा', ललित सुछंदा, रचत सकल कवि, यह मृदु कर्णा।।
- रास छंद "कृष्णावतार" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 4, 2021 रास छंद विधान - रास छंद 22 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है जिसमें 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है। पदान्त 112 से होना आवश्यक है। मात्रा बाँट प्रथम और द्वितीय यति में एक अठकल या 2…
- भक्ति छंद "कृष्ण-विनती" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 9, 2021 भक्ति छंद विधान - "तायाग" सजी क्या है। ये 'भक्ति' सुछंदा है।। "तायाग" = तगण यगण, गुरु
- जनहरण घनाक्षरी "ब्रज-छवि" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 24, 2021 जनहरण घनाक्षरी विधान :- चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। इसमें पद के प्रथम 30 वर्ण लघु रहते हैं तथा केवल पदान्त दीर्घ रहता है।
- चामर छंद "मुरलीधर छवि" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 31, 2021 चामर छंद विधान - "राजराजरा" सजा रचें सुछंद 'चामरं'। पक्ष वर्ण छंद गूँज दे समान भ्रामरं।। "राजराजरा" = रगण जगण रगण जगण रगण
भानु छंद में मुरलीधर कृष्ण की बहुत सराहनीय रचना।
आपकी मधुर प्रतिक्रिया का अभिनंदन।
भानु छंद में श्याम सुंदर की सुंदर विनती।
हार्दिक आभार आपका।