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भानु छंद

‘श्याम प्रार्थना”

मुरलीधर, तू ही जग का पालनहार।
ब्रजवासी, तुझमें बसता यह संसार।।
यदुकुल में, लिया कृष्ण बनकर अवतार।
अविनाशी, इस जग का तू ही हो सार।।

यशुमति माँ, नंद पिता भ्राता बलराम।
वृंदावन, सुंदर तेरो गोकुल धाम।।
सरसाये, रुक्मणि राधा ह्रदय अपार।
आनंदित, देख तुझे ब्रज के नर-नार।।

सुरपति का, क्रोध देख गोकुल घबराय।
जलधारा, विकट हुई सब बहता जाय।।
गोवर्धन, लिया हाथ पर तुझने धार।
असुरों को, बालापन में दिया मार।।

धरती के, करदे नष्ट सभी तू पाप।
दीनन के, हरले पल में सब संताप।।
हे मोहन, चरणों की हूँ दासी एक।
शुचि दर पे, बैठी तेरे माथा टेक।

मात्रिक छंद परिभाषा

 

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भानु छंद विधान-

भानु छंद 21 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 6 और 15 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
222, 2222 22S1

छक्कल की संभावित संभावनाएं-
3+3 या 4+2 या 2+4 हो सकते हैं।

अठकल 4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।

चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत गुरु- लघु (2 1) अनिवार्य है।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम

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