नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
ग्रंथि छंद "देश का ऊँचा सदा" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' December 31, 2022 ग्रंथि छंद चार पदों का एक सम मात्रिक छंद है जिसमें प्रति पद 19 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 12 और 7 मात्रा की यति में विभक्त रहता है। 2122 212,2 212
मनहरण घनाक्षरी "कतार" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 21, 2022 मनहरण घनाक्षरी छंद जनसंख्या भीड़ दिन्ही, भीड़ धक्का-मुक्की किन्ही, धक्का-मुक्की से ही बनी, व्यवस्था कतार की।
सुमति छंद "भारत देश" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' February 23, 2022 सुमति छंद विधान - गण "नरानया" जब सज जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।। "नरानया" = नगण रगण नगण यगण =111 212 111 122
धारा छंद 'तिरंगा' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' January 29, 2022 धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है- अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S) 2222 2221, 2222 222 (S)
आँसू छंद "कल और आज" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 10, 2021 आँसू छंद प्रति पद 28 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। छंद का पद 14 - 14 मात्रा के दो यति खण्डों में विभक्त रहता है। भारत तू कहलाता था, सोने की चिड़िया जग में। तुझको दे पद जग-गुरु…
हंसगति छंद "भारत" by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' September 8, 2021 हंसगति छंद विधान - हंसगति छंद बीस मात्रा प्रति पद का मात्रिक छंद है जिसमें ग्यारहवीं और नवीं मात्रा पर विराम होता है। प्रथम चरण की मात्रा बाँट ठीक दोहे के सम चरण वाली तथा 9 मात्रिक द्वितीय चरण की…
शिखरिणी छंद "भारत वंदन" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 10, 2021 शिखरिणी छंद विधान - रखें छै वर्णों पे, यति "यमनसाभालग" रचें। चतुष् पादा छंदा, सब 'शिखरिणी' का रस चखें।। "यमनसाभालग" = यगण, मगण, नगण, सगण, भगण लघु गुरु ( कुल 17 वर्ण)
मनहरण घनाक्षरी, 'कविकुल' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' July 1, 2021 मनहरण घनाक्षरी, 'कविकुल' कविकुल निखरा है, काव्य-रस बिखरा है, रसपान करने को, कविगण आइये। प्रेम का ये अनुबंध, अतिप्रिय है सम्बंध, भावों से पिरोये छन्द, मंत्रमुग्ध गाईये। काव्य कुंज ये है प्यारा, भरे मन उजियारा, छंदों का निराला स्वाद, नित…
मनहरण घनाक्षरी विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' June 28, 2021 मनहरण घनाक्षरी विधान :- मनहरण को घनाक्षरी छंदों का सिरमौर कहें तो अनुचित नहीं होगा। चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। घनाक्षरी एक वर्णिक छंद है अतः वर्णों की संख्या 31…
बहुत सुंदर
रौनक बहुत बहुत धन्यवाद।
वाह वाह, जय भारत।
यशश्वी टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है।
शुचि बहन धन्यवाद
घनाक्षरी में भारत की सुंदर गाथा हुई है।
बधाई आपको।