गरीबी रहे ना यहाँ पे कभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
रखें भावना प्यार की सबसे हम,
दुखी जो हैं उनके करें दुख को कम,
दिलों में दया भाव धारें सभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
मिला हाथ आगे बढ़ें सब सदा,
न कोई रहे कर्ज़ से ही लदा,
दुखी दीन को दें सहारा सभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
हुये बेसहारा उन्हें साथ दें,
गिरें हैं जमीं पे उन्हें हाथ दें,
जवानों बढ़ो आज आगे सभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
वतन के लिए जान हँस हँस के दें,
तिरंगे को झुकने कभी हम न दें,
बढ़े देश आगे सुखी हों सभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
‘नमन’ देश को कर ये प्रण हम करें,
नहीं भूख से लोग आगे मरें,
जो खुशहाल होंगें यहाँ पर सभी।
रहे देश का नाम ऊँचा तभी।।
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भुजंगी छंद विधान –
भुजंगी छंद 11 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद है जिसका वर्ण विन्यास 122*3 + 12 है। इस चार चरणों के छंद में 2-2 अथवा चारों चरणों में समतुकांतता रखी जाती है।
यह छंद वाचिक स्वरूप में भी प्रसिद्ध है जिसमें उच्चारण के आधार पर काफी लोच संभव है। वाचिक स्वरूप में गुरु वर्ण (2) को लघु+लघु (11) में तोड़ने की तथा उच्चारण के अनुसार गुरु वर्ण को लघु मानने की भी छूट रहती है।
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
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भव छंद "जागो भारत" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 29, 2023 भव छंद विधान - भव छंद 11 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है । चरणांत के आधार पर इन 11 मात्राओं के दो विन्यास हैं। प्रथम 8 1 2(S)…
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धारा छंद 'तिरंगा' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' January 29, 2022 धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है- अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S) 2222 2221, 2222 222 (S)
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देशभक्ति का संदेश देती ओजपूर्ण अति सराहनीय रचना हुई है।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।
भुजंगी छंद में देश भक्ति से ओतप्रोत बहुत सुंदर गीत है।
आपकी प्रफुल्लित करती टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद।