भूमिसुता छंद
“जीव हिंसा”
जीवों की हिंसा प्राणी क्यों, हो करते।
तेरे कष्टों से ही आहें, ये भरते।।
भारी अत्याचारों को ये, झेल रहे।
इन्सां को मूकों की पीड़ा, कौन कहे।।
कष्टों के मारे बेचारे, जीव सभी।
पूरी जो ना हो राखे ना, चाह कभी।।
जो भी दे दो वो ही खा के, मस्त रहे।
इन्सां तेरे दुःखों को क्यों, मूक सहे।।
जाँयें तो जाँयें कैसे ये, भाग कहीं।
प्राणों के घाती ही पायें, जाँय वहीं।।
इंसानों ने भी राखा है, बाँध इन्हें।
थोड़ी भी आजादी है दी, नाँहि जिन्हें।।
लाचारी में पीड़ा झेलें, नित्य महा।
दुःखों में ऐसे हैं ये जो, जा न कहा।।
हैं संसारी रिश्ते नाते, स्वार्थ सने।
लागें हैं दूजों को सारे, ही डसने।।
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भूमिसुता छंद विधान –
“मामामासा” तोड़ो आठा, चार सजा।
सारे भाई चाखो छंदा, ‘भूमिसुता’।।
“मामामासा” = मगण मगण मगण सगण
222 222 22//2 112 = 12वर्ण का वर्णिक छंद, यति 8,4
चार चरण, दो दो समतुकांत।
वर्णिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
जीवों की रक्षा हेतु बहुत ही सुंदर, भावप्रधान, विचारणीय रचना हुई है।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
इस कठिन वर्णिक छंद में जीव हिंसा पर हृदय झकझोरती रचना।
आपकी मनमोहन प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।