मंजुभाषिणी छंद
“शहीद दिवस”
इस देश की भगत सिंह शान है।
सुखदेव राजगुरु आन बान है।।
हम आह आज बलिदान पे भरें।
उन वीर की चरण वन्दना करें।।
अति घोर कष्ट कटु जेल के सहे।
चढ़ फांस-तख्त पर भी हँसे रहे।।
निज प्राण देश-हित में जिन्हें दिये।
उनको लगा कर सदा रखें हिये।।
तिथि मार्च तेइस शहीद की मने।
उनके समान जन देश के बने।।
प्रण आज ये हृदय धार लें सभी।
नहिं देश का हनन गर्व हो कभी।।
हम पुष्प अर्पित समाधि पे करें।
इस देश की सब विपत्तियाँ हरें।।
यह भाव-अंजलि सही तभी हुये।
जब विश्व भी चरण देश के छुये।।================
मंजुभाषिणी छंद विधान:- (वर्णिक छंद परिभाषा)
“सजसाजगा” रचत ‘मंजुभाषिणी’।
यह छंद है अमिय-धार वर्षिणी।।
“सजसाजगा” = सगण जगण सगण जगण गुरु
112 121 112 121+गुरु = कुल 13 वर्ण की वर्णिक छंद।
चार चरण, दो दो समतुकांत।
*********************
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

परिचय
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
मेरा ब्लॉग:-
बहुत सुंदर कविता
हृदयतल से धन्यवाद।
वाह, बहुत खूब
संदीप जी आपका हृदयतल से आभार।
बहुत सुंदर कविता
आत्मिक आभार।
भगत सिंह पर अद्भुद रचना मामाजी।
रौनक धन्यवाद।
भगतसिंह के शौर्य की गाथा को मंजुभाषिणी वर्णिक छन्द विधान के अंतर्गत उकेर कर उसमें अपने भावों को पूर्णतः समेट कर आपने श्रेष्ठता का परिचय दिया है।
आपकी लेखनी पर सदैव माँ शारदे की कृपा बनी रहे ।
शुचिता बहन तुम्हारी भाव भीनी स्नेह भरी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।