मंदाक्रान्ता छंद
“लक्ष्मी स्तुति”
लक्ष्मी माता, जगत जननी, शुभ्र रूपा शुभांगी।
विष्णो भार्या, कमल नयनी, आप हो कोमलांगी।।
देवी दिव्या, जलधि प्रगटी, द्रव्य ऐश्वर्य दाता।
देवों को भी, कनक धन की, दायिनी आप माता।।
नीलाभा से, युत कमल को, हस्त में धारती हैं।
हाथों में ले, कनक घट को, सृष्टि संवारती हैं।।
चारों हाथी, दिग पति महा, आपको सींचते हैं।
सारे देवा, विनय करते, मात को सेवते हैं।।
दीपों की ये, जगमग जली, ज्योत से पूजता हूँ।
भावों से ये, स्तवन करता, मात मैं धूजता हूँ।।
रंगोली से, घर दर सजा, बाट जोहूँ तिहारी।
आओ माते, शुभ फल प्रदा, नित्य आह्लादकारी।।
आया हूँ मैं, तव शरण में, भक्ति का भाव दे दो।
मेरे सारे, दुख दरिद की, मात प्राचीर भेदो।।
मैं आकांक्षी, चरण-रज का, ‘बासु’ तेरा पुजारी।
खाली झोली, बस कुछ भरो, चाहता ये भिखारी।।
===============
मंदाक्रान्ता छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)
“माभानाता,तगग” रच के, चार छै सात तोड़ें।
‘मंदाक्रान्ता’, चतुष पद की, छंद यूँ आप जोड़ें।।
“माभानाता, तगग” = मगण, भगण, नगण, तगण, तगण, गुरु गुरु (कुल 17 वर्ण)
222 2,11 111 2,21 221 22
चार छै सात तोड़ें = चार वर्ण,छ वर्ण और सात वर्ण पर यति।
(संस्कृत का प्रसिद्ध छंद जिसमें मेघदूतम् लिखा गया है।)
*****************
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
सीताराम
आदरणीय
माता लक्ष्मी का सुंदर स्तवन मंदाकिनी छंद में पढ़कर आनंदित हुआ। क्विंटल से जुड़कर मैं आह्लादित हूँ।निश्चय ही छंद सृजन सीखने-पढ़ने का यहाँ सुंदर-सुखद सुअवसर प्राप्त होगा।
आदरणीय बाबा कल्पेश जी आपके आशिर्वचनों से अनुग्रहित हुआ। आत्मिक आभार।
बहुत खूब लक्ष्मी वंदना। जय हो मां लक्ष्मी की।
आपकी आनंदित करती प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।
जय हो माँ लक्ष्मी की
बहुत सुंदर वंदना
यशस्वी तुम्हारी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
मन्द्राक्रान्ता जैसी कठिन वर्णिक छंद में माँ लक्ष्मी की स्तुति बहुत ही सुंदर लिखी है आपने। शब्द चयन,भाषा,भाव एवं लय बेजोड़ है।
साधुवाद।
शुचिता बहन तुम्हारी ऐसी छंद बद्ध रचनाओं के सृजन की प्रेरणा देती प्रतिक्रिया का आत्मिक आभार।
देवी लक्ष्मी की इस कठिन और मधुर छंद में बहुत ओजपूर्ण स्तुति की आपने रचना की है।
आपकी इस मधुर प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।