मणिमध्या छंद ‘नैतिक शिक्षा’
जीवन में सत्मार्ग चुनो।
नैतिकता की बात सुनो।।
जो सच राहों पे चलते।
स्वप्न उन्ही के हैं फलते।।
केवल पैसों के बल से।
जीत न पायेंगे छल से।।
स्वार्थ भरी चालें चलना।
है अपने को ही छलना।।
रावण ने सीता हरली।
निष्ठुरता सारी करली।।
अंत बड़ा था कष्ट भरा।
दम्भ मिटा, लंकेश मरा।।
राम जहाँ है जीत वहाँ।
त्याग करो तो मीत वहाँ।।
चाह हमेशा नेक रहे।
धर्म सभी ये बात कहे।।
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मणिमध्या छंद विधान-
मणिमध्या मापनीयुक्त वर्णिक छंद है। इसमें 9 वर्ण होते हैं।
इसका मात्राविन्यास निम्न है-
211 222 112
इस छंद में चार चरण होते हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
‘भामस प्यारे तीन रखें।
तो मणिमध्या आप चखें’।।
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शुचिता अग्रवाल ‘ शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
बहुत ही सार्थक सृजन।
हार्दिक आभार
शुचिता बहन इस मनमोहक छंद में सुशिक्षा से परिपूर्ण सुंदर रचना।
हार्दिक आभार भैया।