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मत्तगयंद सवैया “हरि गुण”

पैर मिले करने सब तीरथ, हाथ दुखारिन दान दिलाने।
कान मिले सुनिए प्रभु का जस, नैन मिले छवि श्याम बसाने।
बैन मिले नित गा हरि के गुण, माथ दयानिधि पाँव नवाने।
‘बासु’ कहे सब नीक दिये प्रभु, क्यों फिर पेटहु पाप कमाने।।

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मत्तगयंद सवैया विधान –

मत्तगयंद सवैया छंद 23 वर्ण प्रति चरण का एक सम वर्ण वृत्त है। अन्य सभी सवैया छंदों की तरह इसकी रचना भी चार चरण में होती है और सभी चारों चरण एक ही तुकांतता के होने आवश्यक हैं।

यह सवैया भगण (211) पर आश्रित है, जिसकी 7 आवृत्ति और अंत में दो गुरु वर्ण प्रति चरण में रहते हैं। इसकी संरचना 211× 7 + 22 है।

(211 211 211 211 211 211 211 22 )

सवैया छंद यति बंधनों में बंधे हुये नहीं होते हैं परंतु कोई चाहे तो लय की सुगमता के लिए इसके चरण में क्रमशः12 -11 वर्ण पर 2 यति खंड रख सकता है ।चूंकि यह एक वर्णिक छंद है अतः इसमें गुरु के स्थान पर दो लघु वर्ण का प्रयोग करना अमान्य है।

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