मनविश्राम छंद
“माखन लीला”
माखन श्याम चुरा नित ही, कछु खावत कछु लिपटावै।
ग्वाल सखा सह धूम करे, यमुना तट गउन चरावै।।
फोड़त माखन की मटकी, सब गोरस नित बिखराये।
गोपिन भी लख हर्षित हैं, पर रोष बयन दिखलाये।।
मात यशोमत नित्य मथे, दधि की जब लबलब झारी।
मोहन आय तभी धमकै, अरु बाँह भरत महतारी।।
मात बिलोवत जाय रहे, तब कान्ह करत बरजोरी।
नन्द-तिया पुलकै मुलकै, सुत की लख नित नव त्योरी।।
माधव संग सखा सब ले, जब ग्वालिन गृह मँह धाये।
ऊधम खूब मचाय वहाँ, सब गोपिन हृदय लुभाये।।
पीठ चढ़े इक दूजन की, तब छींकन पर चढ़ जावै।
माखन लूटत भाजन से, दिखलाकर चख चख खावै।।
मोहन की छवि ये उर में, मन उज्ज्वल पर तन कारा।
रोज मचा हुड़दंग यही, हरता बृज-जन-मन सारा।।
गोपिन को ललचा कर के, मनमोहक छवि दिखलावै।
कृष्ण बसो उर में तुम आ, गुण ‘बासु’ नमन करि गावै।।
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मनविश्राम छंद विधान –
“भाभभुभाभनुया” यति दें, दश रुद्र वरण अभिरामा।
छंद रचें कवि वृन्द सभी, मनभावन ‘मनविशरामा’।।
“भाभभुभाभनुया” = भगण की 5 आवृत्ति फिर नगण यगण।
211 211 211 2,11 211 111 122 = कुल 21 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 10 और 11 वर्ण, चार पद, 2-2 पद समतुकांत।
वर्णिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
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अप्रतिम, अद्भुत रचना। बाल कृष्ण की माखन लीला का सांगोपांग वर्णन।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी टिप्पणी का बहुत बहुत धन्यवाद।
इस कविता में साँवरे की माखन लीला का बहुत ही सुंदर शब्दों में वर्णन किया गया है।
आपकी प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार।