मनहरण घनाक्षरी छंद
(1)
जनसंख्या भीड़ दिन्ही, भीड़ धक्का-मुक्की किन्ही,
धक्का-मुक्की से ही बनी, व्यवस्था कतार की।
राशन की हो दुकान, बैंकों का हो भुगतान,
चाहे लेना हो मकान, महिमा कतार की।
देना हो जो इम्तिहान, लेना हो या अनुदान,
दर्श भगवान का हो, है छटा कतार की।
दिखलाओ चाहे मर्ज, लेना हो या फिर कर्ज,
वोट देने नोट लेने, में प्रभा कतार की।।
(2)
माचे खलबली घोर, छाये चहुँ ओर शोर,
नियंत्रित भीड़ झट, करत कतार है।
हड़कम्प मचे जब, उथल-पुथल सब,
सीख अनुशासन की, देवत कतार है।
भीड़ सुशासित करे, अव्यवस्था झट हरे,
धैर्य की भी पहचान, लेवत कतार है।
मोतियों की माल जैसे, लोग जुड़ते हैं वैसे,
संगठन के बल से, बनत कतार है।।
लिंक —-> मनहरण घनाक्षरी विधान
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
वाह अद्भुत विषय चयन करते हुए कतार महिमा गाथा।
लाजवाब सृजन भैया।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।
मनहरण घनाक्षरी में कतार की महिमा का बखान करती सुंदर रचना।
आपकी मनमोहक प्रतिक्रिया का आत्मिक आभार।