मनहरण घनाक्षरी, ‘कविकुल’
कविकुल निखरा है,
काव्य-रस बिखरा है,
रसपान करने को,
कविगण आइये।
प्रेम का ये अनुबंध,
अतिप्रिय है सम्बंध,
भावों से पिरोये छन्द,
मंत्रमुग्ध गाईये।
काव्य कुंज ये है प्यारा,
भरे मन उजियारा,
छंदों का निराला स्वाद,
नित नया पाइये।
भावों के हैं विज्ञ सभी,
पर हित सब लोभी,
‘शुचि’ सुरसरि माँहीं,
गोता तो लगाइये।
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मनहरण घनाक्षरी विधान-
मनहरण घनाक्षरी चार पदों का वर्णिक छन्द है।प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। वर्णों की संख्या 31 वर्ण से न्यूनाधिक नहीं हो सकती। चारों पदों में समतुकांतता होनी आवश्यक है। 31 वर्ण लंबे पद में 16, 15 पर यति रखना अनिवार्य है। पदान्त हमेशा दीर्घ वर्ण ही रहता है।
8,8,8,7 के क्रम में यति तथा पदान्त लघु-गुरु(12) रखने से वाचन में सहजता और अतिरिक्त निखार अवश्य आता है,परन्तु ये दोनों ही बातें विधानानुसार आवश्यक नहीं है।
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शुचिता अग्रवाल’शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
कविकुल के महत्व को दर्शाती सुंदर कविता।
कविकुल अच्छी site लगी। मज़ा आ रहा है। ☺
वाह शुचि बहन कविकुल वेब साइट पर साहित्यकारों का आह्वान करती मधुर घनाक्षरी।
“कविकुल निखरा है,
काव्य-रस बिखरा है,
रसपान करने को,
कविगण आइये।”
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आपका।