मरहठा माधवी छंद
“होली”
रंग-बिरंगे रंग, लुभाते संग, सजी हैं टोलियाँ।।
होली का हुड़दंग, बाजते चंग, गूँजती बोलियाँ।
लाल, गुलाबी, हरा, रंग से भरा, गगन मदहोश है।
घन भू को छू जाय, रंग बरसाय, प्रीत का जोश है।।
भीगी-भीगी देह, हृदय में नेह, हाथ पिचकारियाँ।
कर सोलह श्रृंगार, नयन से वार, करे सब नारियाँ।।
पिय गुलाल मल जाय, रहे इतराय, गुलाबी गाल पे।।
झूमे मन अनुराग, उड़े जब फाग, ढोल की ताल पे।
भाँग, पेय मृदु शीत, पिलाकर मीत, करे अठखेलियाँ।
मधुर प्रणय के गीत, बजे संगीत, मने रँगरेलियाँ।।
मन से मन का मेल, रंग का खेल, मिटाये दूरियाँ।
मटके तिरछे नैन, चुराते चैन, चला कर छूरियाँ।।
पर्व अनूठा एक, सीख दे नेक, बुराई छोड़ दें।
हिलमिल रहना साथ, पकड़ कर हाथ, प्रेम से जोड़ दें।।
खुशियों का त्योहार, करे बौछार, प्रेम के रंग की।
हृदय हिलोरे खाय, बहकता जाय, टेर सुन चंग की।।
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मरहठा माधवी छंद विधान – <– (मात्रिक छंद परिभाषा) मरहठा माधवी छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + गुरु + लघु + गुरु(S)
8 3, 3 2 3, 3 2 2 1 2 (S)
(11+8+10)
प्रथम दो अन्तर्यति में तुकांतता आवश्यक है।
अठकल में (4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।
त्रिकल 21, 12, 111 हो सकता है तथा द्विकल 2 या 11 हो सकता है।
अंत में एक गुरु का होना अनिवार्य है।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
होली के रंग में रंगी सुंदर रचना।
हार्दिक आभार आपका।
फागुन का महिना लगा हुआ है, लोगों में फागुनी मस्ती बढती जा रही है। शुचिता बहन ऐसे मोहक वातावरण में होली के रंग में सराबोर तुम्हारी इस कठिन छंद में इतनी प्यारी रचना रंगों की बरसात कर रही है।
इतनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर लेखन सफल हुआ भैया। हार्दिक आभार आपका।