मलयज छंद
“प्रभु-गुण”
सुन मन-मधुकर।
मत हिय मद भर।।
करत कलुष डर।
हरि गुण उर धर।।
सरस अमिय सम।
प्रभु गुण हरदम।।
मन हरि मँह रम।
हर सब भव तम।।
मन बहुत विकल।
हलचल प्रतिपल।।
पड़त न कछु कल।
हरि-दरशन हल।।
प्रभु-शरण लखत।
यह सर अब नत।।
तव चरण पड़त।
रख नटवर पत।।
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मलयज छंद विधान –
“ननलल” लघु सब।
‘मलयज’ रच तब।।
“ननलल” = नगण नगण लघु लघु।
111 111 11 = 8 लघु वर्ण का वर्णिक छंद, 4 चरण, दो दो समतुकांत।
वर्णिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
19-01-17

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
लघु वर्णों से सुसज्जित बहुत ही प्यारी रचना है भैया।
शुचिता बहन तुम्हारा हार्दिक धन्यवाद।
पूरी लघु वर्णों पर लिखी कविता हरि भक्ति को बहुत सुंदर ढंग से दर्शा रही है।
आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।