मालिक छंद
“राधा रानी”
चंद्र चाँदनी, मुदित मोहिनी राधा।
बिना तुम्हारे श्याम सदा ही आधा।।
युगल रूप में तुम मोहन की छाया।
एकाकार हुई लगती दो काया।।
वेणु रूप में तुम जब शोभित होती।
श्याम अधर रसपान अमिय में खोती।।
दृश्य अलौकिक रसिक भक्त ये पीते।
भाव भक्ति में सुध बुध खो वे जीते।।
वृंदावन की हो तुम वृंदा रानी।
जहाँ श्याम ने रहने की नित ठानी।।
सुमन सेज सुखदायक नित बिछ जाती।
निधिवन में जब श्याम सलोनी आती।।
रमा, राधिका, रुकमिण तुम ही सीता।
प्रेम भाव से हरि को हरदम जीता।।
है वृषभानु सुता का वैभव न्यारा।
राधा नाम तुम्हारा शुचि अति प्यारा।।
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मालिक छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
मालिक छंद एक सम मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 20 मात्रा रहती हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + अठकल + गुरु गुरु = 8, 8, 2, 2 = 20 मात्रा।
(अठकल में 4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।)
चरणान्त गुरु-गुरु(SS) अनिवार्य है।
दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
इस सुंदर छंद के लिए धन्यवाद शुचिता बहन।
सादर
ईश्वर शर्मा
नईदुनिया (दैनिक जागरण समूह का अखबार)
इंदौर, मध्य प्रदेश
शुचिता बहन एक ओर नये छंद मालिक छंद में तुमने राधाजी के कई रूपों का दिग्दर्शन कराया है। राधा कृष्ण की एक रूपता का तुमने बड़ा सुंदर वर्णन किया है।
प्रोत्साहन हेतु सदैव आभारी हूँ आपकी।
मालिक छंद में राधा जी की महिमा का बहुत सुंदर गुणगान हुआ है।
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।