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मालिनी छंद

“हनुमत स्तुति”

पवन-तनय प्यारा, अंजनी का दुलारा।
तपन निगल डारा, ठुड्ड टेढ़ा तुम्हारा।।
हनुमत बलवाना, वज्र देही महाना।
सकल गुण निधाना, ज्ञान के हो खजाना।।

जलधि उतर पारा, सीय को खोज डारा।
कनक-नगर जारा, राम का काज सारा।।
अवधपति सहायी, नित्य रामानुयायी।
अतिसय सुखदायी, भक्त को शांतिदायी।।

भुजबल अति भारी, शैल आकार धारी।
दनुज दलन कारी, व्योम के हो विहारी।।
घिर कर जग-माया, घोर संताप पाया।
तव दर प्रभु आया, नाथ दो छत्रछाया।।

सकल जगत त्राता, मुक्ति के हो प्रदाता।
नित गुण तव गाता, आपका रूप भाता।।
भगतन हित कारी, नित्य हो ब्रह्मचारी।
प्रभु शरण तिहारी, चाहता ये पुजारी।।
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मालिनी छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)

“ननिमयय” गणों में, ‘मालिनी’ छंद जोड़ें।
यति अठ अरु सप्ता, वर्ण पे आप तोड़ें।।

“ननिमयय” = नगण, नगण, मगण, यगण, यगण।
111 111 22,2 122 122

मालिनी छंद प्रति पद 15 वर्ण का वर्णिक छंद है जिसमें यति क्रमशः आठ और सात वर्ण के बाद होती है। सुंदर काण्ड का-
‘अतुलित बलधामं हेम शैलाभ देहं’
श्लोक इसी छंद में है।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

6 Responses

  1. मालिनी छंद में बहुत ही मधुर हनुमानजी की स्तुती। आंतरिक तुकांतता के साथ बहुत प्यारी।

    1. शुचिता बहन यह जानकर बहुत खुशी हुई कि यह ‘हनुमत स्तुति’ तुम्हें प्रतिदिन पठनीय लगी। हमारी सनातन छंदों की लय बहुत ही मधुर होती है। प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।

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