Categories
Archives

यशोदा छंद / कण्ठी छंद

“प्यारी माँ”

तु मात प्यारी।
महा दुलारी।।
ममत्व पाऊँ।
तुझे रिझाऊँ।।

गले लगाऊँ।
सदा मनाऊँ।।
करूँ तुझे माँ।
प्रणाम मैं माँ।।

तु ही सवेरा।
हरे अँधेरा।।
बिना तिहारे।
कहाँ सहारे।।

दुलार देती।
बला तु लेती।।
सनेह दाता।
नमामि माता।।
=========

यशोदा छंद / कण्ठी छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)

रखो “जगोगा” ।
रचो ‘यशोदा’।।

“जगोगा” = जगण, गुरु गुरु
121 2 2= 5 वर्ण की वर्णिक छंद।
4  चरण, 2-2 या चारों चरण समतुकांत।

“कण्ठी छंद” के नाम से भी यह छंद जानी जाती है, जिसका सूत्र –

कण्ठी छंद विधान –

“जगाग” वर्णी।
सु-छंद ‘कण्ठी’।।
“जगाग” = जगण गुरु गुरु (121 2 2)

***********

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

4 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *