यशोदा छंद
“सवेरा”
हुआ सवेरा।
मिटा अँधेरा।।
सुषुप्त जागो।
खुमार त्यागो।।
सराहना की।
बड़प्पना की।।
न आस राखो।
सुशान्ति चाखो।।
करो भलाई।
यही कमाई।।
सदैव संगी।
कभी न तंगी।।
कुपंथ चालो।
विपत्ति पालो।।
सुपंथ धारो।
कभी न हारो।।
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यशोदा छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा)
रखो “जगोगा” ।
रचो ‘यशोदा’।।
“जगोगा” = जगण, गुरु गुरु
121 2 2= 5 वर्ण की वर्णिक छंद।
4 चरण, 2-2 या चारों चरण समतुकांत।
“कण्ठी छंद” के नाम से भी यह छंद जानी जाती है, जिसका सूत्र –
कण्ठी छंद विधान –
“जगाग” वर्णी।
सु-छंद ‘कण्ठी’।।
“जगाग” = जगण गुरु गुरु (121 2 2)
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
छोटी मापनी की यशोदा वर्णिक छंद में सन्देशप्रद,अति सराहनीय रचना हुई है।
बहुत बधाई आपको।
शुचिता बहन तुम्हारी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।
इस छोटी मापनी के यशोदा छंद में भी बहुत ही सुंदर सीख देती रचना।
आपकी आत्मिक प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार।