रथोद्धता छंद
“आह्वाहन”
मात अम्ब सम रूप राख के।
देश-भक्ति रस भंग चाख के।
गर्ज सिंह सम वीर जागिये।
दे दहाड़ अब नींद त्यागिये।।
आज है दुखित मात भारती।
आर्त होय सबको पुकारती।।
वीर जाग अब आप जाइये।
धूम शत्रु-घर में मचाइये।।
देश का हित कभी न शीर्ण हो।
भाव ये हृदय से न जीर्ण हो।।
ये विचार रख के बढ़े चलो।
ही किसी न अवरोध से टलो।।
रौद्र रूप अब वीर धारिये।
मातृ भूमि पर प्राण वारिये।
अस्त्र शस्त्र कर धार लीजिये।
मुंड काट रिपु ध्वस्त कीजिये।।
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रथोद्धता छंद विधान – वर्णिक छंद परिभाषा <– लिंक
“रानरा लघु गुरौ” ‘रथोद्धता’।
तीन वा चतुस तोड़ के सजा।
“रानरा लघु गुरौ” = 212 111 212 12
रथोद्धता छंद ११ वर्ण प्रति चरण की चतुष्पदी वर्णिक छंद है। हर चरण में तीसरे या चौथे वर्ण के बाद यति होती है।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
ओजपूर्ण ,देशभक्ति की हुंकार भरती वीर रस पर सराहनीय सृजन।
शुचिता बहन तुम्हारी मधुर प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
वीर रस से परिपूर्ण जवानों का आह्वान करती रचना।
आपकी आत्मिक टिप्पणी का अतिसय आभार।