हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ।
घोर घटा में, कड़क रहीं थी, दामिनियाँ।
हाथ हाथ को, भी नहिं सूझे, तम गहरा।
दरवाजों पर, लटके ताले, था पहरा।।
यमुना मैया, भी ऐसे में, उफन पड़ी।
विपदाओं की, एक साथ में, घोर घड़ी।
मास भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की, तिथि अठिया।
कारा-गृह में, जन्म लिया था, मझ रतिया।।
घोर परीक्षा, पहले लेते, साँवरिया।
जग को करते, एक बार तो, बावरिया।
सीख छिपी है, हर विपदा में, धीर रहो।
दर्शन चाहो, प्रभु के तो हँस, कष्ट सहो।।
अर्जुन से बन, जीवन रथ का, स्वाद चखो।
कृष्ण सारथी, रथ हाँकेंगे, ठान रखो।
श्याम बिहारी, जब आते हैं, सब सुख हैं।
कृष्ण नाम से, सारे मिटते, भव-दुख हैं।।
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रास छंद 22 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है जिसमें 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है। पदान्त 112 से होना आवश्यक है। चार पदों का एक छंद होता है जिसमें 2-2 पद सम तुकांत होने चाहिये। मात्रा बाँट प्रथम और द्वितीय यति में एक अठकल या 2 चौकल की है। अंतिम यति में 2 – 1 – 1 – 2(ऽ) की है।
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नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
भानु छंद 'श्याम प्रार्थना' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' July 22, 2023 भानु छंद 'श्याम प्रार्थना" मुरलीधर, तू ही जग का पालनहार। ब्रजवासी, तुझमें बसता यह संसार।। यदुकुल में, लिया कृष्ण बनकर अवतार। अविनाशी, इस जग का तू ही हो सार।। यशुमति माँ, नंद पिता भ्राता बलराम। वृंदावन, सुंदर तेरो गोकुल धाम।।…
चंचरीक छंद "बाल कृष्ण" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' January 16, 2023 चंचरीक छंद या हरिप्रिया छंद चार प्रति पद 46 मात्राओं का सम मात्रिक दण्डक है। इसका यति विभाजन (12+12+12+10) = 46 मात्रा है। मात्रा बाँट - 12 मात्रिक यति में 2 छक्कल का तथा अंतिम यति में छक्कल+गुरु गुरु है।
पवन छंद "श्याम शरण" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' December 7, 2022 पवन छंद विधान - "भातनसा" से, 'पवन' सजति है। पाँच व सप्ता, वरणन यति है।। "भातनसा" = भगण तगण नगण सगण। 211 22,1 111 112
डमरू घनाक्षरी "नटवर" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' November 19, 2022 डमरू घनाक्षरी 32 वर्ण प्रति पद की घनाक्षरी है। इस घनाक्षरी की खास बात जो है वह यह है कि ये 32 के 32 वर्ण लघु तथा मात्रा रहित होने चाहिए।
तरलनयन छंद 'नटवर छवि' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 27, 2022 तरलनयन छंद विधान - चतुष नगण, षट षट यति। 'तरलनयन', धरतत गति।। तरलनयन छंद चार नगण से युक्त 12 वर्ण का वर्णिक छंद है। इसमें सब लघु वर्ण रहने चाहिए। यति छह छह वर्ण पर है।
मकरन्द छंद 'कन्हैया वंदना' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 6, 2022 मकरन्द छंद विधान - "नयनयनाना, ननगग" पाना, यति षट षट अठ, अरु षट वर्णा। मधु 'मकरन्दा', ललित सुछंदा, रचत सकल कवि, यह मृदु कर्णा।।
जनहरण घनाक्षरी "ब्रज-छवि" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 24, 2021 जनहरण घनाक्षरी विधान :- चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। इसमें पद के प्रथम 30 वर्ण लघु रहते हैं तथा केवल पदान्त दीर्घ रहता है।
प्रिय नमन जी
सादर नमन।
मुम्बई से प्रकाशित हो रही उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘कृष्ण प्रज्ञा’ के बसंत अंक हेतु कृष्ण और बसंत पर केंद्रित काव्य रचना अपने चित्र, डाक पता, ईमेल वॉट्सऐपक्रमांक सहित तुरंत 9425183244 पर वॉट्सऐप कीजिए। समीक्षा हेतु अपनी पुस्तकें भेज सकते हैं।
आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
साहित्य संपादक कृष्ण प्रज्ञा
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१ salil.sanjiv@gmail.com, 9425183244
भगवान कृष्ण के जन्म की समस्त परिस्थितियों का सांगोपांग लेखन किया है आपने। इस दिव्य झाँकी को रास छंद के माध्यम से बहुत ही सुंदर प्रस्तुत किया है।
अद्भुत लेखन।
प्रिय नमन जी
सादर नमन।
मुम्बई से प्रकाशित हो रही उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘कृष्ण प्रज्ञा’ के बसंत अंक हेतु कृष्ण और बसंत पर केंद्रित काव्य रचना अपने चित्र, डाक पता, ईमेल वॉट्सऐपक्रमांक सहित तुरंत 9425183244 पर वॉट्सऐप कीजिए। समीक्षा हेतु अपनी पुस्तकें भेज सकते हैं।
आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
साहित्य संपादक कृष्ण प्रज्ञा
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१
salil.sanjiv@gmail.com, 9425183244
भगवान कृष्ण के जन्म की समस्त परिस्थितियों का सांगोपांग लेखन किया है आपने। इस दिव्य झाँकी को रास छंद के माध्यम से बहुत ही सुंदर प्रस्तुत किया है।
अद्भुत लेखन।
शुचिता बहन तुम्हारी छंद पर मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन करता हूँ।
भगवान कृष्ण के अवतार की दिव्य झाँकी प्रस्तुत की है आपने इस छंद में।
आपकी नव लेखन के प्रति उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।